सुधार के संकेत
भारतीय अर्थव्यवस्था के करीब-करीब हर क्षेत्र में सुधार के संकेत मिलने लगे हैं। कहना होगा कि देश में लंबे लॉकडाउन के बाद पहले चरण के अनलॉक का फैसला सही साबित हुआ है।
सुधार के संकेत |
उद्योग मंडल सीआईआई-भारतीय उद्योग परिसंघ-का कहना है कि जीएसटी संग्रह, रेल माल ढुलाई यातायात और पेट्रोल व डीजल की खपत संबंधी जो आंकड़े थोड़े-थोड़े अंतराल पर मिल रहे हैं, वे उत्साहवर्धक हैं। अर्थव्यवस्था में ठोस सुधार के संकेत दे रहे हैं। गौरतलब है कि कोरोना महामारी से उपजे भय के माहौल और महामारी की रोकथाम के लिए लागू किए गए लॉकडाउन के चलते आर्थिक गतिविधियों का पहिया ठहर गया था।
नतीजतन, अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ा और इसमें तेजी से गिरावट आई। लेकिन अब जो आंकड़े मिल रहे हैं, वे अप्रैल के मुकाबले अर्थव्यवस्था में ठोस सुधार के संकेत दे रहे हैं। बेशक, माल एवं सेवा कर संग्रह, रेल माल ढुलाई यातायात के साथ ही पेट्रोल और डीजल की खपत बढ़ने के साथ ही बिजली की मांग, पथकर संग्रह, इलेक्ट्रॉनिक आदि क्षेत्रों में सुधार दिखने लगा है लेकिन अभी किसी निष्कर्ष पर पहुंचना या दावे के साथ कुछ कहना जल्दबाजी होगी। कारण, अनिश्चितताएं अभी छंटी नहीं हैं। सिनेमा, मनोरंजन, शिक्षा के इदारों आदि में पाबंदियां बरकरार हैं।
विमानन, होटल और वाणिज्यिक वाहन क्षेत्र पर भी काफी दबाव बना हुआ है। उद्योग क्षेत्र की आपूर्ति श्रृंखला में अड़चनें बनी हुई हैं। कच्चे माल की समुचित आपूर्ति नहीं हो पा रही। श्रम बल भी आवश्यकता के मद्देनजर पर्याप्त नहीं है। कंटेनमेंट क्षेत्रों का दायरा बना हुआ है। इससे आर्थिक गतिविधियां रफ्तार नहीं पकड़ पा रहीं। इन सब कारणों से कंपनियां ज्यादा आगे की रणनीतियां नहीं बना पा रहीं।
इससे उनका कामकाज प्रभावित हो रहा है। लेकिन सरकार के कुछ अच्छे उपायों से उद्योग क्षेत्र के साथ ही अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों के कामकाज पर सकारात्मक असर देखने को मिला है। औषधि, दैनिक उपयोग के साज-सामान बनाने वाली कंपनियों और कृषि क्षेत्र के अच्छे प्रदर्शन ने निराशा के माहौल में हौसला देने का काम किया है। अच्छी बात यह है कि अवसंरचना निर्माण क्षेत्र में माहौल तेजी से सामान्य हो रहा है। गौरतलब है कि यह क्षेत्र रोजगार देने के मामले में अग्रणी है। बहरहाल, आने वाले दिनों में आर्थिक लिहाज से स्थितियों के और भी साजगार, और माकूल होने की उम्मीद की जा सकती है।
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