रणनीति में बदलाव जरूरी
देश अनलॉक-1 में प्रवेश कर चुका है। सभी उपासना स्थल खुल गए हैं, बाजारों की रौनक धीरे-धीरे लौट रहीं हैं और दुखद यह है कि कोरोना वायरस महामारी का ग्राफ भी तेजी से बढ़ने लगा है।
![]() रणनीति में बदलाव जरूरी |
बीते सोमवार को एक दिन में संक्रमण के करीब 10,000 नये मामले सामने आए। पूरे देश में कुल संक्रमितों की संख्या ढाई लाख को पार कर गई। इस जानलेवा महामारी से मरने वालों की संख्या करीब 7200 से ज्यादा हो गई है। देश के स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि जून और जुलाई के अंत तक महामारी अपने चरम पर पहुंच सकता है। महाराष्ट्र के बाद देश की राजधानी दिल्ली कोरोना से सबसे ज्यादा पीड़ित है।
दिल्ली सरकार को तो इस बात की आशंका है कि राजधानी दिल्ली में कोरोना वायरस सामुदायिक स्तर पर पहुंच गया है। दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का आकलन है कि 31 जुलाई तक दिल्ली में कोरोना संक्रमितों की संख्या साढ़े पांच लाख तक पहुंच जाएगी। यह स्थिति तब है जब देश में कठोरता के साथ लॉकडाउन लागू किया गया था। अब आगे जो तस्वीर उभर रही है, वह सचमुच बहुत डरावनी है। ऐसे में यह सवाल उठना स्वाभाविक है कि कोरोना वायरस के विरुद्ध अब तक जारी लड़ाई की निष्पक्षता से समीक्षा होनी चाहिए।
अगर कोरोना का फैलाव तेजी से हो रहा है और संकट बढ़ रहा है तो क्या इससे लड़ने की रणनीति में बदलाव पर भी विमर्श करने की जरूरत नहीं है? बहुत पहले से यह सवाल उठाया जा रहा है कि भारत में प्रति दस लाख व्यक्तियों पर मात्र दो हजार की कोरोना जांच हो रही है। जांच की यह दर बहुत कम है। न्यूजीलैंड को दुनिया का पहला ऐसा देश बनने का गौरव हासिल हुआ है जहां अब कोरोना का एक भी मरीज नहीं है।
यहां प्रति एक लाख व्यक्तियों में से 2200 लोगों की जांच की गई। यह नहीं कहा जा सकता कि सिर्फ अधिक-से-अधिक जांच करके ही न्यूजीलैंड को कोरोना से मुक्ति मिल पाई है। जाहिर है वहां के लोगों ने सरकार के दिशा-निर्देशों का आदर करते हुए हृदय से पालन किया होगा। लेकिन भारत को यह सीखने की जरूरत है कि आखिर न्यूजीलैंड ने ऐसा क्या किया कि उसने पूरी तरह से कोरोना पर विजय प्राप्त कर ली है। भारत को न्यूजीलैंड के मॉडल को अपनाने की जरूरत है। निश्चित रूप से कोरोना को हराने में केंद्र और राज्य सरकारों को आम लोगों के सहयोग की जरूरत होगी।
Tweet![]() |