नानावती की क्लीन चिट
नानावती आयोग ने वर्ष दो हजार दो में गोधरा कांड के बाद गुजरात में भड़के सांप्रदायिक दंगों में सूबे के तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और उनकी सरकार को पाक साफ करार दिया है।
नानावती की क्लीन चिट |
हालांकि जो लोग वर्षो से गुजरात के दंगों के लिए मोदी व उनकी तत्कालीन सरकार को कठघरे में खड़ा करते रहे हैं, वे लोग आयोग की रिपोर्ट पर सवाल करेंगे। आयोग ने तीनों पुलिस अधिकारियों-संजीव भट्ट, आर.बी. श्रीकुमार और राहुल शर्मा के आरोपों, साक्ष्यों और शपथ पत्रों को क्रमिक तरीके से विश्वसनीय नहीं माना।
इन अधिकारियों ने दंगों की जांच के लिए गठित एसआईटी, आयोग और जांच एजेंसियों के समक्ष पेश होकर यह आरोप लगाया था कि मुख्यमंत्री मोदी और उनकी सरकार ने पुलिस अधिकारियों से दंगाइयों के साथ नरमी बरतने को कहा था। आयोग ने इन पुलिस अधिकारियों के बयानों और सबूतों को गढ़ा हुआ झूठ बताया है। आयोग की रिपोर्ट की सारी बातें नरेन्द्र मोदी और उनकी तत्कालीन सरकार के लिए राहत की बात हो सकती है, मगर विपक्षी दल इससे संतुष्ट नहीं होगा और नानावती आयोग स्वयं भी कठघरे में खड़ा हो जाएगा।
इसमें शक कोई नहीं है कि 27 फरवरी 2012 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस की एस-6 कोच में 59 कारसेवकों को जिंदा जलाए जाने के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक हिंसा हुई थी। इसमें हजार से ज्यादा लोगों की हत्या हुई थी। लेकिन गुजरात की मोदी सरकार का कहना था कि गोधरा कांड के बाद की घटनाओं की व्यापकता व गंभीरता के अनुमान लगाने में सरकार की ओर से भले चूक हो सकती है, किंतु दंगे भड़काने में सरकारी मशीनरी का कोई हाथ नहीं था। तब के प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने सूबे की तत्कालीन मोदी सरकार को राजधर्म का पाठ पढ़ाया था।
हालांकि इससे इनकार नहीं किया जा सकता कि दंगाइयों में चरमपंथी हिन्दू संगठनों के लोग थे और उन्होंने इसमें सक्रिय भूमिका निभाई। लेकिन नानावती आयोग की रिपोर्ट के अनुसार ये दंगे सुनियोजित नहीं, स्वत:स्फूर्त थे जबकि गोधरा की घटना साजिश थी। संभव है कि आयोग की रिपोर्ट के बाद गुजरात की तत्कालीन सरकार और पुलिस प्रशासन को राहत मिल जाए। मगर जो हुआ उसे देश के लोकतांत्रिक इतिहास में कलंक के रूप में जाना जाता रहेगा। अब विपक्ष को चाहिए कि इस गड़े मुर्दे को नये सिरे न उखाड़े जो दफन हो गया है। अभी वैसे भी देश में हिन्दू-मुसलमान को लेकर नफरत की जड़ें गहरी होती जा रही हैं।
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