संसद की मंजूरी

Last Updated 13 Dec 2019 12:20:32 AM IST

राज्य सभा में पारित होने के बाद अब नागरिकता संशोधन विधेयक के कानून में बदलने की बाधाएं खत्म हो गई हैं।


संसद की मंजूरी

लोक सभा में सरकार के बहुमत के कारण किसी को भी विधेयक पारित होने को लेकर संदेह नहीं था, लेकिन राज्य सभा को लेकर अलग-अलग राय थी। हालांकि जब अनुच्छेद 370 को खत्म करने जैसे विधेयक को सरकार पारित करा सकती है तो दूसरे विधेयकों में ऐसा नहीं होगा यह कल्पना बेमानी थी। वस्तुत: अमित शाह के गृह मंत्रालय संभालने के बाद भाजपा का संसदीय प्रबंधन आमूल रूप से बदल गया है। ऐसा नहीं होता तो नागरिकता संशोधन विधेयक पर जिस तरह सड़क से संसद तक विरोध हो रहा था, उसमें राज्य सभा में पारित नहीं हो सकता था।

बहरहाल, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में धार्मिंकता के कारण सताए और पीड़ित होकर अपना वतन मानकर 31 दिसम्बर 2014 तक भारत आए हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनों, पारसियों और ईसाइयों को नागरिकता मिल जाएगी। उनके जीवन में नया सूर्योदय होगा। किसी भी सरकार को नागरिकता संबंधी नीतियां तय करने का अधिकार है।

और यह हमारे संविधान एवं कानून के तहत होना चाहिए। इसकी संवैधानिकता एवं अन्य कानूनी पहलुओं पर विवाद खड़ा किया गया है। चूंकि मामला सर्वोच्च न्यायालय में जा रहा है; इसलिए अंतिम शब्द उसी का होगा। हमारे लिए यह मानवीयता का प्रश्न है। पूर्वोत्तर में हो रहा हिंसक विरोध दुखद है। कुछ तो इसके पीछे अपनी संस्कृति, परंपरा, भाषा से लेकर संसाधनों पर खतरे की चिंता है, लेकिन इसका बड़ा पहलू राजनीति का है। असम को छोड़कर लगभग पूरे पूर्वोत्तर को इनर लाइन परमिट के तहत ला दिया गया है।

इसका अर्थ है कि वहां स्थायी रूप से कोई बस नहीं सकता। असम में भी मूल आदिवासी क्षेत्रों को इससे अलग रखा गया है। असम के मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल ने कहा है कि इस कानून से दो लाख लोगों को नागरिकता प्राप्त होगी। संसद के दोनों सदनों में गृहमंत्री ने पूर्वोत्तर के लोगों से वायदा किया है कि उनकी संस्कृति, भाषा, परंपरा..सबकी रक्षा की जाएगी। उनकी चिंताओं को दूर करने के कारण ही सिक्किम को छोड़कर पूर्वोत्तर के सभी सांसदों ने विधेयक के पक्ष में मत दिया। प्रधानमंत्री ने भी उनसे अपील की है। उम्मीद है पूर्वोत्तर के लोग भी यह समझेंगे कि यह पूरे भारत के लिए विधेयक है। हमारा मानना है कि हमें अपने बंधु-बांधवों की तरह इन्हें मानवीयता के नाते गले लगाना चाहिए।



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