करतारपुर पर नया पैंतरा

Last Updated 02 Oct 2019 02:16:47 AM IST

कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू की पाकिस्तान यात्रा को हुए अभी ज्यादा नहीं गुजरे हैं कि पाकिस्तान ने नवम्बर में होने वाले करतारपुर गलियारे के उद्घाटन के अवसर पर पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह को आमंत्रित करने का फैसला किया है।


पूर्व प्रधानमंत्री और कांग्रेस नेता मनमोहन सिंह (file photo)

यह गलियारा करतारपुर स्थित दरबार साहिब को पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक साहिब से जोड़ेगा। चूंकि विभाजन के समय सिखों का पवित्र तीर्थ स्थल करतारपुर साहिब पाकिस्तान में चला गया था, इसलिए उनकी हमेशा से इच्छा रही थी कि करतारपुर साहिब के दशर्न की राह आसान हो सके। इसके लिए भारत-पाकिस्तान के बीच जो समझौता हुआ, उसके तहत इस गलियारे का निर्माण होना था। दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली के हिसाब से यहां तक तो ठीक था, लेकिन इस पर पाकिस्तान की कुत्सित राजनीति अस्वीकार्य है।

खालिस्तानी आंदोलन के मद्देनजर पहले से ही उसके करतारपुर प्रेम को लेकर आशंका प्रकट की जा रही थी। अब इसके उद्घाटन अवसर पर मनमोहन सिंह को आमंत्रित करने का फैसला उसके एक नये पैंतरे की ओर इशारा करता है। होना तो यह चाहिए था कि प्रधानमंत्री होने के नाते नरेन्द्र मोदी को वहां की सरकार आमंत्रित करने का फैसला करती लेकिन ऐसा न करके उसने अपना नकारात्मक इरादा जता दिया है। भारत के प्रति घृणा में डूबी मौजूदा पाक सरकार भारतीय समाज में विभाजन पैदा करने का कोई मौका नहीं छोड़ती। मनमोहन सिंह को आमंत्रित करके सिख समाज के प्रति हमदर्दी दिखाना चाहती है, तो भारत का प्रतिनिधित्व करने वाली मोदी सरकार को देश-विदेश में अलग-थलग कर दिखाना चाहती है कि यहां का विपक्ष उसके साथ है।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की दयनीय हालत किसी से छिपी नहीं है, तो सिद्धू की पाक यात्रा का भारत विरोधी अपने एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए इस्तेमाल से भी देशवासी परिचित हैं। सिद्धू की पाक यात्रा को लेकर कांग्रेस की जो किरकिरी हुई थी, उसे वह शायद भूली नहीं होगी। संभावना कम ही है कि धीर-गंभीर मनमोहन सिंह पाकिस्तान के ऐसे निमंत्रण को स्वीकार करेंगे। मनमोहन सिंह निमंत्रण आने पर पाकिस्तान जाने का फैसला करते हैं, तो अनुच्छेद 370 के अधिकतर प्रावधानों को हटाने को लेकर देश का जो जनमानस बना है, उसमें कांग्रेस की राजनीति के लिए वह भूल साबित होगी। भाजपा इसे कांग्रेस को ‘पाक समर्थक’ दिखाने के लिए इस्तेमाल कर सकती है।



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