अब देश में एनआरसी
गृहमंत्री अमित शाह का यह कथन महत्त्वपूर्ण है कि एनआरसी यानी राष्ट्रीय नागरिक पंजी पूरे देश में लागू करेंगे।
अब देश में एनआरसी |
जब गृहमंत्री ऐसा कह रहे हो तो यह मानकर चलना चाहिए कि नरेन्द्र मोदी सरकार की नीति वाकई में यही है। इसके पहले जब कई भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपने-अपने राज्यों में एनआरसी लागू करने की बात की तो उसे चुनावी वक्तव्य मानकर बहुत लोगों ने खारिज कर दिया। उसका उपहास भी उड़ाया गया। लेकिन अमित शाह द्वारा ऐसा कहने के बाद यह मानने का कोई कारण नहीं है कि मुख्यमंत्रियों के वक्तव्य केवल चुनावी लाभ की दृष्टि से नहीं दिए गए थे। इससे कोई असहमत नहीं हो सकता कि देश में जो भी विदेशी घुसपैठिए हैं या अप्रवासी हैं उनकी पहचान होनी चाहिए। जो हमारे यहां कानून है, उसके अनुसार उनके साथ व्यवहार होना चाहिए। विदेशी हैं तो विदेशी की तरह तब तक उन्हें रखा जाए जब तक उनको वापस भेज दिया जाए। उनको भारतीय नागरिक बना देना खतरनाक है। दुर्भाग्य से वोट की लालच में ऐसा हुआ है। यह देश की एकता अखंडता के लिए भी घातक है। इस दृष्टि से एनआरसी को संपूर्ण भारत में लागू किए जाने के वक्तव्य का समर्थन किया जा सकता है। लेकिन असम में एनआरसी की जो दुर्दशा हुई है उसे देखते हुए यह प्रश्न अवश्य उठता है कि क्या वाकई इससे देशभर में विदेशियों की पहचान संभव हो पाएगी? असम इसका सबसे बड़ा परीक्षण केंद्र था, जहां विदेशी घुसपैठियों को निकालने के लिए बड़े आंदोलन हुए, उसके कारण सत्ता परिवर्तन हुआ और फिर लंबा संघर्ष चला।
अंतत: उच्चतम न्यायालय को हस्तक्षेप करना पड़ा। बावजूद इसके यदि असम की एनआरसी में विदेशियों के नाम शामिल हो गए और जो वाकई भारतीय हैं उनके नाम भारी संख्या में शामिल नहीं हुए तो यह चिंता का विषय है। यह सरकार की विफलता है। आखिर भारी संख्या में विदेशियों के राशन कार्ड से लेकर मतदाता पहचान पत्र और आधार कार्ड तक बनवा दिए गए हैं तभी तो असम में उनका नाम शामिल हो गया। इसलिए हमारा गृह मंत्री से अनुरोध होगा कि वे असम के एनआरसी की तैयारी में कहां चूक हुई उसकी व्यापक समीक्षा करें, उसे दुरु स्त करने के कदम उठाएं फिर देशव्यापी पंजीयक तैयार करने की दिशा में आगे बढ़ें। साथ ही जिनकी पहचान विदेशी के रूप में हो गई उनको कैसे वापस भेजना है और तब तक उन्हें कहां रखना है इसका ढांचा भी खड़ा करना होगा।
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