निवेश का नया गंतव्य
इसी साल अक्टूबर माह में जम्मू-कश्मीर प्रशासन श्रीनगर में तीन दिनी वैश्विक निवेशक सम्मेलन आयोजित करेगा।
निवेश का नया गंतव्य |
12 अक्टूबर से आरंभ होने वाला सम्मेलन यकीनन जम्मू-कश्मीर को अपनी कारोबारी संभावनाएं दर्शाने का अवसर होगा। कश्मीर सेब के बागानों, केसर की खेती के लिए जाना जाता है। बागवानी आधारित उद्यमों की वहां अपार संभावनाएं हैं। दूसरे राज्यों और अन्य देशों के विशेषज्ञ और कारोबारी वहां के किसानों की बेहतरी के लिए मिलकर कार्य कर सकते हैं।
फार्मा और पावर प्रोजेक्ट के लिए भी चमकीली संभावनाएं हैं। कश्मीरी शॉल और अन्य शिल्प उत्पादों के लिए जम्मू-कश्मीर जाना जाता है, लेकिन इन उत्पादों के लिए बाजार मिलना बड़ी समस्या रही है। कुटीर उद्योग को प्रोत्साहन दिए जाने से महिला सशक्तिकरण होगा। सम्मेलन विचारने का मौका होगा कि संभावनाओं के भरपूर दोहन की रणनीति कैसी हो।
राज्य में रोजगार सृजन को प्राथमिकता देनी होगी ताकि युवाओं में असंतोष खत्म किया जा सके। इससे निहित स्वार्थी तत्व उन्हें गुमराह नहीं कर सकेंगे। युवाओं को रोजगार मिलने पर उनसे सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने का काम देने वालों के दिन लद जाएंगे। कहना न होगा कि जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटने के बाद नवसृजित यह केंद्र-शासित प्रदेश अब देश के बड़े उद्योगपतियों के लिए नया निवेश गंतव्य बनने वाला है।
अनुच्छेद हटने से राज्य में बाहरी लोगों द्वारा उद्योग लगाने और कारोबार जमाने के लिए जमीन की खरीद जैसी दिक्कतें अब नहीं रह गई हैं। इससे उत्साहित औद्योगिक घरानों ने राज्य में इकाइयां लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। अपनी निवेश संबंधी कार्ययोजना तैयार कर रहे हैं। उम्मीद है कि कुछ दिनों में इसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को सौंप भी देंगे। ऐसे में जरूरी है कि सरकार के स्तर पर उनका मार्गदर्शन किया जाए। अनुच्छेद 370 प्रभावी रहते राज्य में औद्योगिक निवेश का माहौल निराशाजनक था।
कोई उद्योगपति हिम्मत करता भी था, तो निराशा हाथ लगती थी। डालमिया समूह की जम्मू में सिगरेट इकाई की नजीर ली जा सकती है। समूह ने जम्मू में सिगरेट फैक्टरी डाली थी, लेकिन माहौल अनुकूल न होने से ठप हो गई। अब उम्मीद है कि कई सालों से बंद पड़ी सिगरेट फैक्टरी को फिर चालू किया जा सकेगा। उम्मीद है कि यह क्षेत्र नया कारोबारी मुकाम हासिल करेगा।
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