कश्मीर में विश्वास बहाली

Last Updated 13 Aug 2019 12:23:48 AM IST

जम्मू-कश्मीर का विशेष दरजा खत्म करने और उसे दो केंद्र-शासित प्रदेशों में विभाजित करने से पहले ही केंद्र सरकार ने वहां भारी पैमाने पर सुरक्षा बलों की तैनाती कर दी थी, लेकिन उसे इस बात का भलीभांति अहसास था कि केवल बल के आधार पर स्थानीय लोगों का विश्वास नहीं जीता जा सकता।


कश्मीर में विश्वास बहाली

लोगों का दिल जीता जा सके, इसके लिए भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति के साथ-साथ उनसे भावनात्मक स्तर पर रिश्ता कायम करना जरूरी था। केंद्र सरकार की कोशिश इस दिशा में दिख रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल कुछ दिनों से कश्मीर घाटी में स्थानीय लोगों से संवाद कर रहे हैं, तो खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने स्वतंत्रता दिवस का इंतजार किए बिना इस मसले पर राष्ट्र को संबोधित किया। अब जब ईद-उल-अजहा का मौका आया तो जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने उनकी हर सुविधा का ख्याल रखा।

उनके खाने-पीने के सामान से लेकर नकदी की व्यवस्था तक का ध्यान रखा। इसका परिणाम भी दिखा, संपूर्ण जम्मू-कश्मीर में शांतिपूर्ण तरीके से ईद-उल-अजहा का त्योहार मनाया गया। पर इतने से संतोष नहीं किया जा सकता। आने वाले समय में इसकी असलियत का पता चलेगा। सरकार को इस दिशा में निरंतर प्रयास करते रहना होगा ताकि कश्मीर में स्थिति सामान्य हो सके। लेकिन कांग्रेस के कुछ नेता जिस प्रकार प्रतिक्रिया दे रहे हैं, उससे स्थिति सुधरने में मदद नहीं मिलेगी। यह खुद कांग्रेस की धर्मनिरपेक्ष राजनीति के विपरीत है।

राजनीतिक जमीन की तलाश में लगी इन पार्टयिों को फायदे के बजाय नुकसान ही होगा, जबकि वैश्विक स्तर पर पाकिस्तान के दृष्टिकोण को मजबूती मिलेगी। चूंकि सरकार के कदम को संसद का अनुमोदन मिल चुका है, इसलिए मौजूदा हालात में इसका समर्थन करना ही श्रेयस्कर होगा। ध्यान में रखना होगा कि वैश्विक  समर्थन न मिलने से बौखलाया पाकिस्तान घाटी की शांति भंग करने की फिराक में है। रिपोटरे के मुताबिक उसने जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों को घाटी में हिंसक वारदात करने की खुली छूट दे दी है। यह नहीं, इसे सांप्रदायिक रंग देने में भी लगा है, जो उसकी पुरानी रणनीति का हिस्सा है। चिंताजनक यह है कि झूठ और अफवाह का बाजार अब भी गरम है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की मुलाकात के बाद से इसकी गति कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है। सरकार एजेंसियों को इन पर नजर रखने और समय पर इनका जवाब देने के लिए तत्पर रहना होगा।



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