‘सुप्रीम’ भरोसा

Last Updated 15 Aug 2019 05:36:13 AM IST

जम्मू-कश्मीर का विशेष दरजा खत्म करने के बाद केंद्र द्वारा वहां पाबंदी लगाने के निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी, लेकिन उसने उसमें हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।


‘सुप्रीम’ भरोसा

उसका कहना है कि हालात सामान्य करने के लिए सरकार को समुचित समय दिया जाना चाहिए। इसी के साथ ही संवैधानिक अधिकार के आधार पर सरकार के फैसले के खिलाफ शोर मचाने वालों की आवाज मंद हो गई। राज्य की संवेदनशील स्थिति के मद्देनजर कोर्ट का रु ख उचित ही है।

ऐसा नहीं हो सकता कि कोर्ट देशकाल की सामाजिक-राजनीतिक गतिशीलता को नजरअंदाज करके अपना मत व्यक्त कर दे। उसे भी अपनी जिम्मेदारी का बखूबी भान होता है, तभी तो उसने कहा कि कोई भी आदेश देने से पहले उसे इसके विभिन्न पहलुओं पर गौर करना होगा। बेशक वह लोगों की स्वतंत्रता के अधिकार के साथ खड़ा है, लेकिन उसकी प्राथमिकता स्पष्ट है। वर्तमान समय में उसकी यही प्राथमिकता है कि किसी की जान नहीं जाए। याचिकाकर्ता को जल्दबाजी हो सकती है, लेकिन कोई जरूरी नहीं कि कोर्ट जल्दबाजी करे। वह अपने विवेक के हिसाब से ही काम करेगा। कोर्ट का यह सवाल उचित ही है कि अगर जम्मू-कश्मीर में कल कुछ हो गया, तो इसके लिए जिम्मेदार कौन होगा?

जब कानून-व्यवस्था बनाए रखना कोर्ट के अधिकार क्षेत्र में है ही नहीं, तो कोर्ट इसमें दखल क्यों दे? अगर कोर्ट इसमें दखल देगा, तो जिम्मेदारी उसके ऊपर आएगी, जबकि कोर्ट भी अपनी ‘लक्ष्मण रेखा’ समझता है। कोर्ट ने अपने संवैधानिक दायरे में रहकर ही काम किया है। दरअसल, अभी जम्मू-कश्मीर की स्थिति ऐसी नहीं है कि कोर्ट दखल दे। अगर वहां से पूरी तरह पाबंदी हटा दी गई, तो कोई आश्चर्य नहीं कि भारत विरोधी ताकतें इसका बेजा लाभ उठाने लगें। अभी जबकि मोबाइल और इंटरनेट पर प्रतिबंध है, इसके बावजूद उकसाने वाली फर्जी खबरों और अफवाहों का दौर जारी है।

अगर इसे बहाल कर दिया गया, तो स्थिति बिगड़ सकती है। यह बात नहीं भूलनी चाहिए कि जम्मू-कश्मीर में इंटरनेट उपयोगकर्ताओं की संख्या काफी ज्यादा है और अब इंटरनेट ही जिहादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार का बड़ा माध्यम बन गया है। पाकिस्तान की धरती से भारत के खिलाफ सोशल मीडिया पर मुहिम छेड़ी जा चुकी है। करगिल युद्ध के समय सरकार का जन संपर्क अपेक्षा के अनुरूप नहीं रहा था। अगर इतिहास से सबक नहीं लिया, तो देश को इस छद्म युद्ध में कीमत चुकानी पड़ सकती है।



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