पाकिस्तान की बौखलाहट
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने जिस तरह से कश्मीर मुद्दे पर भारत को युद्ध की धमकी दी है, वह कश्मीर मुद्दे पर पड़ोसी मुल्क के वैश्विक स्तर पर लगातार कमजोर पड़ते जाने से पैदा हुई बौखलाहट से ज्यादा कुछ नहीं है।
पाकिस्तान की बौखलाहट |
दरअसल, अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के भारत के फैसले के बाद पैदा हुआ पाकिस्तान का धर्मसंकट खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। इमरान खान तय नहीं कर पा रहे हैं कि वे इस घटनाक्रम के बाद कश्मीर समस्या को लेकर अपना राजनयिक रु ख नये सिरे से कैसे तय करें? आलम यह है कि अमेरिका और रूस से लेकर संयुक्त राष्ट्र तक ने इसे भारत का अंदरूनी मुद्दा ठहरा दिया है। यहां तक कि पाकिस्तान का नया विस्त और राजनयिक हितैषी चीन भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देते हुए भारत के खिलाफ कोई टेक लेने से परहेज कर रहा है।
यहां तक कि पाकिस्तान के विदेश मंत्री महमूद कुरैशी तक कह चुके हैं कि उनके देश को इस मुगालते में नहीं रहना चाहिए कि वे इस मुद्दे पर भारत का कुछ बिगाड़ लेंगे और संयुक्त राष्ट्र तो क्या मुस्लिम देश भी इस मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ नहीं देने वाले। इसके बावजूद अगर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान कश्मीर मुद्दे पर विश्व समुदाय की चुप्पी पर सवाल उठा रहे हैं, तो वो या तो भारत के पक्ष में बने वैश्विक समर्थन का सच पचा नहीं पा रहे या फिर कश्मीर मुद्दे पर भारत विरोध की राजनीतिक जमीन बचाने के लिए देश के भीतर अंतिम तौर पर हाथ-पैर मार रहे हैं।
कमाल तो यह है कि उन्होंने यह सब करते हुए जिस तरह भारत को युद्ध की धमकी दी है, उससे विश्व स्तर पर उनके देश की छवि और खराब ही होगी। एक बात और यह है कि पाकिस्तान नये घटनाक्रम के बाद जिस तरह अपने अधिकार वाले कश्मीर क्षेत्र को लेकर सुर अलाप रहा है, उससे वह इस मुद्दे पर रणनीतिक रूप से भारत के खिलाफ और घिरने की स्थिति में होगा।
पीओके को जिस तरह राजनीतिक और विकास की प्राथमिकता से दूर रखते हुए एक कबीलाई स्थिति में रहने पर मजबूर किया गया है, वह जगजाहिर है। भारत पहले से पाक अधिकृत कश्मीर को अपना अभिन्न हिस्सा मानता रहा है, और अनुच्छेद 370 को निरस्त करने हुए यह बात काफी प्रखतरा से दोहराई भी है। पाकिस्तान के बौखलाए रुख के कारण कश्मीर से जुड़े इस बकाए मुद्दे पर भी भारत को कुछ कदम और आगे बढ़ने का मौका अगर मिल जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए।
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