प्रधानमंत्री का संबोधन
जब 2014 में स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लाल किले के प्राचीर से ‘स्वच्छ भारत अभियान’ की घोषणा की थी; तब शायद ही किसी को अहसास था कि वह आने वाले समय में जन आंदोलन का रूप ले लेगा।
प्रधानमंत्री का संबोधन |
इस बार (स्वतंत्रता दिवस की 73वीं वषर्गांठ पर) उन्होंने जल संरक्षण की आवश्यकता जताते हुए घर-घर पानी पहुंचाने के लिए ‘जल जीवन मिशन’ की घोषणा की है।
इस लोक कल्याणकारी कदम के अलावा प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती को अविस्मरणीय बनाने के लिए दो अक्टूबर से प्लास्टिक की विदाई अभियान की भी घोषणा कर दी है। एक बार फिर प्रधानमंत्री मोदी का नेतृत्व कसौटी पर होगा क्योंकि जन सामान्य की भागीदारी के बिना यह अभियान सफल नहीं हो सकता। ये कदम ऐसे हैं, जिनकी चर्चा सरकार के स्तर पर पहले भी होती रही है, लेकिन जो बात पहली बार शीर्ष स्तर से प्रमुखता से सामने आई है, वह है भावी पीढ़ियों के मद्देनजर जनसंख्या विस्फोट के प्रति जागरूकता पैदा करने की आवश्यकता।
हालांकि कोई कानून लाने की बात नहीं की गई है, लेकिन इस पर नि:संदेह बहस होगी। होनी भी चाहिए। कोई आश्चर्य नहीं कि इस पर राजनीति होने लगे, लेकिन समय आ गया है कि जनसंख्या से उपजी भावी चुनौतियों के परिप्रेक्ष्य में इस पर विचार हो। एक और नई बात प्रधानमंत्री ने की और वह है चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की नियुक्ति। क्षेत्र के बदलते रक्षा परिदृश्य में अरसे से इसकी जरूरत महसूस की जा रही थी, ताकि तीनों सेनाओं के बीच समन्वय मजबूत किया जा सके। हालांकि अभी इसका मॉडल स्पष्ट नहीं है, लेकिन नीतिगत घोषणा हो गई है, तो इससे संबंधित बारीकियां तय करने में ज्यादा समस्या नहीं होगी। करीब 94 मिनट के भाषण में मोदी ने राष्ट्रीय जीवन के विभिन्न पहलुओं को छुआ।
उनका फोकस मूलत: दो बातों पर केंद्रित था-सरकार की 75 दिनों की उपलब्धियां और भावी एजेंडा। स्वाभाविक था कि वे तीन तलाक कानून एवं अनुच्छेद 370 व 35ए को हटाने की चर्चा करते। विरोधियों को आड़े हाथ लेते। ऐसा हुआ भी। इससे उन्होंने सरकार की नीति और दिशा फिर स्पष्ट कर दी यानी एक देश, एक संविधान। देखना होगा कि आत्मविश्वास से भरपूर सरकार अपने संकल्पों को सिद्ध करने में कितनी सफल होती है। खास बात यह कि पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने आतंकवाद पर उसे कड़ा संदेश भी दे दिया।
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