प्रधानमंत्री का आह्वान
विपक्ष को सदन में पूरी अहमियत देने की बात कहकर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बड़ा दिल दिखाया है।
प्रधानमंत्री का आह्वान |
स्वाभाविक तौर पर किसी भी मंच पर विपक्ष की भूमिका बेहद महत्त्वपूर्ण होती है। मजबूत विपक्ष और साफ नीयत वाला विपक्ष स्वस्थ्य लोकतंत्र के लिए अहम हैं। प्रधानमंत्री मोदी की मंशा कुछ ऐसी ही है। उनका साफ तौर पर यह कहना कि संख्या बल में हम यानी सत्ता पक्ष भले ज्यादा संख्या में हैं मगर विपक्ष की आवाज भी नजरअंदाज नहीं की जाएगी। लोकतंत्र में विपक्ष की भूमिका का महत्त्व जानने-समझने वाले प्रधानमंत्री का आगे बढ़कर ऐसा कहना अपने आप में बहुत कुछ बयां करता है।
ठीक है कि मुख्य विपक्षी दल के तौर पर कांग्रेस का प्रदर्शन पिछले साल से बेहतर हुआ है किंतु सदन में विपक्ष के नेता का पद उसे इस बार भी नहीं मिलेगा। इसके बावजूद विपक्ष को एकजुट करने और जिम्मेदार विपक्ष की भूमिका का निर्वहन उसके कंधों पर होगा। प्रधानमंत्री इस बात को भली-भांति जानते हैं कि 17वीं लोक सभा के पहले सत्र से ही अगर विपक्ष को साधा जाए तो सरकार के लिए आगे की राह आसान हो जाएगी।
उन्हें यह भी भान है कि इससे पूर्व सदन का ज्यादातर वक्त हंगामे की भेंट चढ़ा है और इससे नुकसान देश का ही हुआ है। अगर विपक्ष को सदन में आदर-सम्मान दिया जाएगा और उनकी बातों को तरीके से समझा जाएगा तो सालों से लंबित कई अहम विधेयक पास हो सकते हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री ने विपक्ष खासकर कांग्रेस को आस्त करते हुए कहा कि उन्हें संख्या बल की चिंता छोड़ देनी चाहिए। बड़ा दिल दिखाकर मोदी ने विपक्ष को इज्जत बख्शी है। पिछले सत्र में कांग्रेस का आरोप था कि ज्यादा संख्याबल के चलते सत्ता पक्ष ने विपक्ष की आवाज को दबाने का काम किया था। चूंकि खुद प्रधानमंत्री ने विपक्ष की अहमियत बताई है तो स्वाभाविक तौर पर यह शुभ संकेत है।
सरकार से जनता को अपार अपेक्षाएं हैं। और उन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सदन में सत्ता पक्ष और विपक्ष के मध्य शांति, समझ और ईमानदारी का होना पहली शर्त है। बिना आपसी समझ के न तो आर्थिक मोच्रे पर देश खड़ा हो पाएगा न बाकी मोच्रे पर। लिहाजा, सहमति से लिये गए हर निर्णय की भूमिका बेहद अहम होगी। हल्ला और व्यवधान के बजाय देश हित की बात करने से देश के विकास को गति मिलेगी, इस मंत्र को आजमाना होगा।
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