देश के अपराधी
प्रवर्त्तन निदेशालय द्वारा राष्ट्रीय राजधानी के एयरोसिटी इलाके में स्थित इस होटल की कीमत 120 करोड़ रुपये बताई गई है।
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विशेष तौर पर हवाई जहाज से सफर करने वाले राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय यात्रियों के लिए निर्मिंत की गई थी। अगर न्यायालय ने इसकी अनुमति दी तो इसका सीधा मतलब है कि विमानन लॉबिस्ट दीपक तलवार के खिलाफ धन शोधन के मामले में उसे ठोस तथ्य दिखाई दिया। उस पर अत्यंत ही गंभीर आरोप हैं।
वह संप्रग सरकार के कार्यकाल में अमीरात, एयर अरेबिया और कतर एयरवेज जैसी एअरलाइनों को अनुचित लाभ पहुंचाने तथा उनसे अवैध धन पाने के लिए नेताओं और अन्य जनसेवकों तथा नागरिक उड्डयन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ लॉबिंग में संलिप्त रहा। इसके द्वारा उसने 2008-09 में इन एअरलाइनों के लिए अनुकूल यातायात अधिकार हासिल किए जिससे सीधी क्षति एअर इंडिया को हुई। इन कंपनियों को एअर इंडिया के यात्री मिलने लगे। इसके बदले इन एअरलाइनों द्वारा तलवार को 272 करोड़ रुपये दिए जाने का सबूत दिया है।
यह नागरिक उड्डयन क्षेत्र का बहुत बड़ा भ्रष्टाचार है, जिसने सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी को क्षति पहुंचाई। इसकी आपराधिक जांच भी चल रही है और कई लोग गिरफ्तार हैं। इन एजेंसियों की कोशिशों तथा कूटनीतिक प्रयासों से तलवार को पिछली जनवरी में दुबई से लाया गया था। उस पर अवैध रूप से प्राप्त इस धन से देश-विदेश में कंपनियां खोलने एवं संपत्तियां बनाने के आरोप हैं, जिसकी सूची न्यायालय में पेश की गई है। होटल होलीडे इन उन्हीं में से एक है। प्रवर्त्तन निदेशालय की सीमा अवैध धनशोधन यानी हवाला तक सीमित है।
किंतु इस मामले के खुलासे से पता चलता है कि भारत को आर्थिक क्षति पहुंचाने के लिए किस तरह की साजिशें विदेशी कंपनियां कर रही थीं। तलवार जैसे लोगों की मंत्रालय में इतनी पहुंच का मतलब ही है कि अनेक लोग अवैध निजी लाभ के लिए सरकारी कंपनी को क्षति पहुंचाने की साजिश में संलिप्त थे। तलवार की गिरफ्तारी तथा उसका आलीशान होटल कुर्क होने से यह विश्वास पैदा हुआ है कि देश को क्षति पहुंचाने वाले अंतत: कानून के कठघरे में खड़े किए जाएंगे। ऐसे लोगों को जल्दी सजा मिले तथा उनकी संपत्तियों को नीलाम कर धन सरकारी खजाने में जमा किया जाए। संलिप्त अपराधियों की संपत्तियां जब्त करने तथा उनको सजा मिलने का देश-समाज पर सकारात्मक असर अवश्य पड़ेगा।
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