प्रियंका की इच्छा

Last Updated 29 Mar 2019 04:35:29 AM IST

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा का यह बयान काफी चर्चा में है कि यदि पार्टी कहेगी तो वह चुनाव लड़ेंगी।


प्रियंका की इच्छा

उनके इस बयान से एक बात बहुत स्पष्ट है कि उन्हें आगामी लोक सभा चुनाव लड़ने से कोई परहेज नहीं है। वह मानसिक रूप से पूरी तरह तैयार हैं। लेकिन अहम सवाल यह है कि क्या कांग्रेस पार्टी प्रियंका के चुनाव प्रचारक की भूमिका को कम करना चाहेगी? कांग्रेस में राहुल गांधी के बाद प्रियंका ही तुरुप का पत्ता हैं। महत्त्वपूर्ण बात यह है कि राहुल के मुकाबले प्रियंका का स्टार वैल्यू कहीं ज्यादा है।

वह उत्तर प्रदेश के अलावा हिन्दुस्तान के किसी भी हिस्से में चुनाव प्रचार करेंगी तो सबसे अधिक भीड़ जुटेगी। यही वजह है कि पार्टी अब उनको उत्तर प्रदेश के अलावा मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, पंजाब, गुजरात और छत्तीसगढ़ में चुनाव प्रचार करने के लिए भेजने की योजना बना रही है।

निस्संदेह प्रियंका के राजनीति में आने से राहुल गांधी और कांग्रेस दोनों को मजबूती मिल रही है। लेकिन प्रियंका यदि खुद चुनाव लड़ती हैं तो जाहिर है कि उन्हें अपनी संसदीय सीट पर घिर जाना पड़ेगा। वह अन्य उम्मीदवारोें के लिए कम समय निकाल पाएंगी। इस तरह कांग्रेस की उस अपेक्षा की पूर्ति में मुश्किल आएगी, जो उसने प्रियंका की भीड़ खिंचाऊ छवि से लगा रखी है। इससे पार्टी को चुनावी नुकसान उठाना पड़ सकता है। वैसे भी वह कहां से चुनाव लड़ेंगी, यह अभी तय नहीं है।

जिस तरह राहुल गांधी की अमेठी सीट और सोनिया गांधी की रायबरेली सीट पर समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी ने अपने उम्मीदवार खड़े नहीं करने का फैसला किया है, उसी तर्ज पर उत्तर प्रदेश ही नहीं पूरे देश में प्रियंका के लिए ऐसी सीट मिल जाती है तो कांग्रेस पार्टी को उन्हें चुनाव मैदान में उतारना चाहिए। दरअसल, कांग्रेस उसी सूरत में प्रियंका को चुनाव मैदान में उतारना चाहेगी, जब उनकी जीत शत-प्रतिशत सुनिश्चित हो। इसलिए कि अगर वह चुनाव हार जाती हैं तो उनका स्टार वैल्यू कम हो जाएगा और पार्टी सहित वह खुद भी नहीं चाहेगी कि राजनीति में उनकी दूसरी पारी की शुरुआत पराजय से हो।

अब यह देखने वाली बात होगी कि कांग्रेस प्रियंका के लिए शत-प्रतिशत जीत सुनिश्चित करने वाली सुरक्षित सीट कहां तलाशती है!  वैसे देश के सभी राज्यों से प्रियंका के चुनाव प्रचार की मांग बढ़ती जा रही है। ऐसे में यह बहुत स्पष्ट है कि प्रियंका चुनाव न लड़कर कांग्रेस को ज्यादा मजबूत बनाएगी, जिसकी अभी पार्टी को ज्यादा जरूरत है।



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