एनजीटी ने पैनल से कहा, उत्तराखंड के आश्रम से हुए कथित नदी प्रदूषण की जांच करें

Last Updated 01 Oct 2022 01:10:15 PM IST

नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने एक संयुक्त समिति को उत्तराखंड की भागीरथी नदी में साबुन के व्यावसायिक निर्माण में लगे एक आश्रम पर प्रदूषण का आरोप लगाने वाली याचिका पर गौर करने का निर्देश दिया है।


याचिका में आवेदक मदन सिंह गुसाईं ने कहा कि आर्य विहार आश्रम नदी के किनारे स्थित है और साबुन निर्माण इकाई चला रहा है, जो इको-सेंसिटिव जोन में अनुपचारित अपशिष्ट का निर्वहन कर रहा है।

आवेदक ने आरोप लगाया कि जल (प्रदूषण की रोकथाम और नियंत्रण) अधिनियम, 1974 और पर्यावरण (संरक्षण) अधिनियम, 1986 के प्रावधानों के तहत सक्षम वैधानिक नियामकों से इसकी कोई पर्यावरणीय मंजूरी या सहमति नहीं है।

न्यायिक सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल और विशेषज्ञ सदस्य ए. सेंथिल वेल की एनजीटी पीठ ने कहा कि एक समिति को इस मुद्दे की जांच करने की जरूरत है।

हालिया आदेश में कहा गया है, "हमारे विचार में एनजीटी अधिनियम, 2010 में निर्धारित अधिनियमों से उत्पन्न होने वाले पर्यावरण से संबंधित एक महत्वपूर्ण प्रश्न उत्पन्न हुआ है। हालांकि, हम पहले एक तथ्यात्मक रिपोर्ट प्राप्त करना उचित समझते हैं, जिसके लिए हम उत्तराखंड राज्य पीसीबी और संयुक्त समिति का गठन करते हैं। जिला मजिस्ट्रेट, उत्तरकाशी जो परिसर का दौरा करेंगे और एक महीने के भीतर एक संयुक्त रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे।

मामले की अगली सुनवाई 10 नवंबर को होगी।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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