‘साइकिल’ मुलायम की चलाएंगे अखिलेश!
तेजी से बदलते घटनाक्रम में पार्टी और परिवार को बचाने की देर रात तक कोशिश होती रही.
![]() अखिलेश यादव-मुलायम सिंह यादव (फाइल फोटो) |
अखिलेश यादव ने पिता मुलायम सिंह यादव से कहा, मुझसे सब ले लीजिए पर पहले दीजिए
द सहारा न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली/लखनऊ.
चुनावों की घोषणा के बावजूद उत्तर प्रदेश की सत्तारूढ़ पार्टी में पारिवारिक आंतरिक कलह दूर होने का ना नहीं ले रही है. पार्टी में फूट के बीच अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को विधायकों की बैठक की. इसमें करीब 206 विधायक शामिल हुए. ऐसा कहा जा रहा है कि इन सभी विधायकों ने अखिलेश का साथ देने के लिए एक हलफनामा पर हस्ताक्षर किये हैं.
इस दौरान अखिलेश ने कहा, ‘चुनाव चिह्न सहित सभी चिंता मेरे ऊपर छोड़ दीजिए. नेता जी हमारे साथ हैं, उनका आशीर्वाद मेरे साथ है.’ उधर, चुनाव आयोग ने समाजवादी पार्टी के चुनाव चिह्न साइकिल को लेकर अखिलेश और मुलायम खेमे से 9 जनवरी तक जवाब मांगा है. मीडिया की खबरों के मुताबिक दोनों गुट साइकिल चुनाव चिह्न पर दावा कर रहे हैं. लेकिन आयोग के सूत्रों का कहना है कि दोनों में से किसी गुट ने चुनाव चिह्न को लेकर कोई दावा नहीं किया है.
बताया जा रहा है कि अखिलेश ने उम्मीदवारों की जो सूची जारी की है उसमें 171 मौजूदा विधायकों को टिकट दिए हैं. मुख्यमंत्री ने विधायकों से कहा है कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर चुनाव की तैयारियां शुरू करें.
सूत्रों के अनुसार मुलायम सिंह के आवास पर मुलायम के साथ उनके भाई अभय राम यादव, राजपाल यादव और शिवपाल यादव तथा पुत्र अखिलेश यादव ने देर रात तक माथा पच्ची की. बताया जाता है कि इस अवसर पर अमर सिंह भी मौजूद थे. यह भी खबर है कि उन्होंने परिवार और पार्टी को बचाने के लिए अपने को पार्टी से अलग करने की भी पेशकश की.
चुनाव घोषणा के बाद परिवार के झगड़े का पार्टी पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की आशंका के मद्देनजर बताते हैं कि दोनों खमों ने यह तय किया कि पार्टी के मुखिया मुलायम ही रहेंगे और साइकिल उन्हीं के पास रहेगी.
लेकिन अखिलेश को उनकी मर्जी के मुताबिक टिकट बांटने की आजादी होगी. यानी साइकिल का हैंडल अखिलेश के हाथ में होगा और पैडल भी वही चलाएंगे. उम्मीद की जा रही है कि 9 जनवरी को चुनाव आयोग में जाने से पहले दोनों खेमे उपरोक्त हल पर पहुंच जाएं.
चुनाव आयुक्त से बिना मिले लौटे मुलायम
मुलायम सिंह यादव ने दिल्ली में अपने करीबी अमर सिंह से सलाह मशविरा किया. अटकलें हैं कि वे 50 प्रतिशत से अधिक विधायकों और पदाधिकारियों के समर्थन वाले पत्र के साथ चुनाव आयोग जा सकते हैं. उन्होंने अपना रुख स्पष्ट करने के लिए चुनाव आयोग से समय मांगा है, वहीं आयोग ने इससे इनकार किया है. शाम को वह लखनऊ लौट गए.
संगठन पर कब्जा मजबूत कर रहे अखिलेश
अखिलेश सपा संगठन पर अपना वर्चस्व लगातार बढ़ाते दिख रहे हैं. उनके निर्देश पर आजमगढ़, देवरिया, कुशीनगर और मिर्जापुर के बर्खास्त सपा जिलाध्यक्षों को कल ‘बहाल’ कर दिया गया. गत रविवार को हुए अधिवेशन में प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाये गये शिवपाल यादव ने सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव द्वारा ‘असंवैधनिक’ करार दिये गये उस कार्यक्र म में शिरकत करने के आरोप में इन जिलाध्यक्षों को बर्खास्त कर दिया था.
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