Inauguration of Samvidhan Sahitya Vatika: संवैधानिक कर्तव्यों को जानने के लिए प्रेरित करेगी संविधान साहित्य वाटिका, बोले ओम बिरला

Last Updated 26 Jun 2025 09:05:20 AM IST

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने बुधवार को मुरादाबाद में ‘संविधान साहित्य वाटिका’ (Samvidhan Sahitya Vatika) का उद्घाटन करते हुए कहा कि यह स्थान भावी पीढ़ियों को उनके संवैधानिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों को समझने के लिए प्रेरित करेगा।


मुरादाबाद के बुद्धि विहार फेज दो क्षेत्र में 15 करोड़ रुपये से अधिक की लागत से निर्मित और दो एकड़ में फैली वाटिका में कला, संस्कृति और नागरिक शिक्षा का मिश्रण है जो मूर्तियों, भित्ति चित्रों के माध्यम से भारत के संवैधानिक मूल्यों को प्रदर्शित करती है।

ओम बिरला ने कहा, ‘‘आने वाली पीढ़ी संविधान साहित्य वाटिका के माध्यम से लोकतंत्र को संजोना सीखेगी।’’

बिरला ने इसे मुरादाबाद के लिए ऐतिहासिक दिन बताया और इस बात पर जोर दिया कि वाटिका नागरिकों, खासकर युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत की संस्कृति, साहित्य और विरासत हमें प्रेरित करती रहती हैं। मुरादाबाद के लेखकों और विचारकों ने अपने रचनात्मक कार्यों के माध्यम से राष्ट्रीय विचार में बहुत योगदान दिया है।’’

लोकसभा अध्यक्ष ने कहा, ‘‘वाटिका संविधान के मूल सिद्धांतों- लोकतंत्र, न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व को दर्शाता है। पत्थर और धातु की नक्काशी में स्थानीय शिल्प कौशल इन कथाओं को जीवंत बनाता है। डॉ. बी.आर. आंबेडकर, सरदार वल्लभभाई पटेल और जवाहरलाल नेहरू जैसे प्रमुख संविधान निर्माताओं की प्रतिमाएं और भित्ति चित्र स्थापित किए गए हैं, साथ ही उनके जीवन और योगदान के बारे में गहन जानकारी देने के लिए पट्टिकाएं और क्यूआर कोड भी लगाए गए हैं।’’

वाटिका की एक अनूठी विशेषता इसकी वास्तुकला डिजाइन है जो पारंपरिक भारतीय रूपांकनों जैसे जाली का काम, मेहराब और वटवृक्ष (बरगद का पेड़) जैसे प्रतीकों को समकालीन तत्वों के साथ मिलाती है जिससे यह एक जीवंत संग्रहालय जैसा लगता है।

वाटिका का एक हिस्सा भारत की साहित्यिक विरासत को समर्पित है, जिसमें महादेवी वर्मा, हरिशंकर परसाई, हरिवंश राय बच्चन और गिरीश कर्नाड जैसे प्रसिद्ध लेखकों के भित्ति चित्र हैं।

विषय आधारित पेड़ों और भित्ति चित्रों के माध्यम से भारत की ग्यारह शास्त्रीय भाषाओं का प्रतिनिधित्व किया गया है। जिगर मुरादाबादी, दुर्गा दत्त त्रिपाठी और मंसूर उस्मानी जैसी स्थानीय साहित्यिक हस्तियों को भी यहां विशेष स्थान प्राप्त है।

 आगंतुकों, खासकर महिलाओं के खातिर जुड़ाव बढ़ाने के लिए, प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों के संग्रह के साथ एक पुस्तक कैफे की स्थापना की गई है।

भाषा
मुरादाबाद


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