आजम खां के खिलाफ जांच करने रामपुर पहुंची ईडी टीम
पहले से कई मुकदमों का सामना कर रहे जेल में बंद पूर्व मंत्री आजम खां की मुश्किलें प्रवर्तन निदेशालय ने भी बढ़ा दी हैं।
![]() आजम खां के खिलाफ जांच करने रामपुर पहुंची ईडी टीम |
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की सात सदस्यीय टीम ने बुधवार को रामपुर जाकर अपनी पड़ताल शुरू कर दी है। बताते चलें कि आजम खां के खिलाफ ईडी ने तीन वर्ष पहले मनी लांड्रिंग का मुकदमा दर्ज किया था।
उन पर आरोप है कि उन्होंने जौहर यूनिवर्सिटी के निर्माण के लिए अवैध तरीके से फंड जुटाया जिसमें विदेशों से भी खासी रकम मिलने की आशंका जताई गयी थी।
ईडी, लखनऊ के डिप्टी डायरेक्टर के निर्देशन में सात सदस्यीय टीम ने बुधवार को रामपुर में डेरा डाल दिया। टीम ने जौहर युनिवर्सिटी का मौका मुआयना करने के साथ जमीनों की खरीद-फरोख्त के दस्तावेजों की पड़ताल की। टीम ने यह भी पता लगाया कि जौहर यूनिवर्सिटी के लिए कितने लोगों की भूमि को खरीदा गया अथवा अधिग्रहण किया गया। साथ ही इसमें ग्राम समाज और पीडब्ल्यूडी की कितनी भूमि है। ईडी के सूत्रों की मानें तो आजम खां के खिलाफ दर्ज मनी लांड्रिंग के केस की पड़ताल पूरी होने वाली है जिसकी वजह से जौहर यूनिवर्सिटी जाकर मौके पर तथ्यों को सत्यापित किया जा रहा है ताकि अवैध तरीके से खरीदी गयी भूमि और संपत्तियों को ईडी द्वारा अटैच किया जा सके।
क्या आजम खान को बाहर नहीं आने दोगे?
सपा नेता आजम खान के खिलाफ एक और मुकदमा दर्ज होने पर सुप्रीम कोर्ट ने तल्ख लहजे में यूपी सरकार से कहा कि क्या आप उसे बाहर नहीं निकलने दोगे। अदालत ने कहा, यह कैसा संयोग है कि एक केस में जमानत होते ही नया मुकदमा लाद दिया जाता है। वह दो साल से जेल में हैं। जमीन हड़पने के मामले में अपनी जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी को लेकर सपा नेता आजम खान की दायर याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया।
जस्टिस एल नागेर राव, बीआर गवई और एएस बोपन्ना की बेंच ने राज्य सरकार को मामले में अपना जवाब दाखिल करने का आदेश दिया और कहा कि इस पर 17 मई को सुनवाई होगी। अदालत ने टिप्पणी की कि यह क्या है। उन्हें बाहर आने क्यों नहीं दिया जा रहा है। वह दो साल से जेल में बंद हैं। एक या दो मामलों में ठीक है, लेकिन यह 89 मामलों में नहीं हो सकता है। जब भी उन्हें जमानत मिलती है, तो उनको फिर से किसी और प्रकरण में जेल भेज दिया जाता है। सरकार जवाब दाखिल करें। हम 17 मई को सुनवाई करेंगे।
खान की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा, यह एक चिंताजनक मामला है जिस पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत है। राज्य सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने कहा, गलत धारणा बनाई जा रही है। खान के खिलाफ दर्ज प्रत्येक मामले में कुछ न कुछ सार है। सुप्रीम कोर्ट ने इससे पहले खान की जमानत अर्जी पर सुनवाई में देरी पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि यह न्याय का मजाक है। अदालत ने कहा था कि एक को छोड़कर सभी मामलों में खान को जमानत दे दी गई है। यह न्याय का मजाक है।
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