अयोध्या पर फैसले से पहले यूपी पुलिस मुस्तैद, 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी

Last Updated 06 Nov 2019 12:11:35 PM IST

सुप्रीम कोर्ट में अयोध्या मुद्दे पर फैसले की घड़ियां जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही हैं, प्रदेश में कानून व्यवस्था कायम रखने वाली एजेंसियां भी पूरी तरह से मुस्तैद हो रही हैं।


पुलिस वाहनों की मरम्मत की जा रही है, हथियारशालाओं का दोबारा दौरा कर यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि ये अंतिम समय में धोखा ना दे जाएं और जन संवाद प्रणाली का भी परीक्षण किया जा रहा है।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने कहा, "हमारे लिए यह जरूरी है कि वाहन और जन संवाद सिस्टम सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील स्थानों पर स्थापित हों। इससे ना सिर्फ अफवाहें फैलने से रोकने में बल्कि भीड़ पर नियंत्रण करने में भी सफलता मिलेगी। अफवाहें और अनियंत्रित भीड़ स्थिति को भयावह बना सकते हैं, जहां लोगों की भावनाएं जुड़ी हुई हैं।"

पुलिस मुख्यालय ने सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील 34 जिलों के पुलिस प्रमुखों को भी निर्देश जारी कर दिए हैं। इन जिलों में मेरठ, आगरा, अलीगढ़, रामपुर, बरेली, फिरोजाबाद, कानपुर, लखनऊ, शाहजहांपुर, शामली, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और आजमगढ़ आदि हैं।

पुलिस तंत्र में जन संवाद सिस्टमों की महत्ता पर जोर देते हुए पूर्व पुलिस उप महानिदेशक (डीजीपी) ब्रजलाल ने याद करते हुए बताया, "बाबरी मस्जिद ढहाए जाने के दो दिन बाद एक सहयोगी ने मुझे सूचना दी कि मेरठ में मेरी हत्या की अफवाह फैल रही है और तनाव पैदा हो रहा है। तब मैं मेरठ का एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) था। मैंने जन संवाद सिस्टम के माध्यम से अफवाह को खारिज किया। आज व्हाट्सएप और एसएमएस से ऐसी अफवाहें खतरनाक गति से फैल सकती हैं।"

ब्रजलाल ने कहा कि सितंबर 2010 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में अयोध्या पर फैसले के समय वे सहायक डीजीपी (कानून व्यवस्था) थे और उन्होंने सभी जिलों में उचित स्थानों पर जनसंवाद सिस्टमों को सुनिश्चित कराया था।

पुलिस विभाग अपने वाहनों की भी मरम्मत और सर्विस करा रहा है, जिससे आपातकाल में कोई समस्या ना आ जाए।

उन्होंने कहा, "अफवाहों और गलत जानकारियों को फैलने से रोकने के लिए हम सोशल मीडिया पर भी व्यापक स्तर पर निगरानी रखे हुए हैं।"

आईएएनएस
लखनऊ


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