अयोध्या मामले में मुस्लिमों के बीच मतभेद
सात दशकों से भी अधिक समय से कानूनी लड़ाई मे फंसे अयोध्या मे रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला निकट भविष्य में आने के आसार है लेकिन इस संवेदनशील मामले को लेकर मुस्लिम समुदाय के दो वर्गो के बीच मतभेद उजागर होने लगे है।
अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरूद्दीन शाह |
मुस्लिम बुद्धिजीवियों के एक वर्ग ने गुरूवार को लखनऊ में विवादित भूमि को हिन्दुओं को सौपने का प्रस्ताव पेश किया था जिसका आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने विरोध किया है।
अलीगढ मुस्लिम यूनीवर्सिटी के पूर्व कुलपति जमीरूद्दीन शाह और पूर्व सचिव अनीस अंसारी ने मुस्लिम पक्ष से अपील की थी कि वे विवादित भूमि से अपना दावा छोड कर आपसी भाईचारे की मिसाल पेश करें।
इस मसले पर आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड की बैठक शनिवार को होने की संभावना है हालांकि इस बैठक में अयोध्या में विवादित 2.77 एकड जमीन पर कब्जा छोडने के बारे में कोई प्रस्ताव आने की उम्मीद नहीं है।
बोर्ड के सदस्य जफरयाब जिलानी ने कहा कि विवादित जमीन पर कब्जा छोडने का सवाल ही नहीं उठता जो लोग इसकी वकालत कर रहे है, उनका इस मामले से कोई लेना देना नही है। इस मामले मे मध्यस्थता के प्रयास विफल हो चुके है।
उच्चतम न्यायालय में जारी बहस पर हमने अपना पक्ष मजबूती से रखा है। इस मामले में बोर्ड कानूनी हल का हिमायती शुरू से रहा है।
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