अवैध खनन घोटाला : उप्र में CBI छापे, डीएम बुलंदशहर के आवास से 47 लाख बरामद
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बुधवार को दूसरे दिन भी यूपी की राजधानी लखनऊ, बुलंदशहर, फतेहपुर, आजमगढ़, इलाहाबाद, नोएडा, गोरखपुर, देवरिया और बुलंदशहर समेत 12 स्थानों पर छापेमारी की।
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) |
सीबीआई ने यह छापे अवैध खनन और भ्रष्टाचार से जुड़े दो अलग-अलग मामलों में डाले हैं। इन छापों के दौरान सीबीआई को बड़ी मात्रा में आईएएस अधिकारियों के आवासों और कार्यालय पर छापेमारी में नकद धनराशि के अलावा बेनामी सम्पत्तियों का कागजात बरामद हुए है, जिसे सीबीआई ने अपने कब्जे में लिया है। बुलंदशहर के डीएम और जिन अधिकारियों के यहां अवैध खनन एवं दूसरे मामलों में सीबीआई ने छापे डाले हैं प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए इन सभी अफसरों को उनके पद से तत्काल प्रभाव से हटा दिया है।
सीबीआई सूत्रों ने बताया कि सुबह लगभग आठ बजे तीन वाहनों में सीबीआई के लगभग 20 अफसरों की टीम ने बुलंदशहर में जिलाधिकारी अभय सिंह के आवास पहुंची। जिलाधिकारी और उनके परिवार के सदस्यों को छोड़कर सभी लोगों को घर से निकाल दिया गया। बुलंदशहर के जिलाधिकारी के यहां छापेमारी का कारण फतेहपुर में तैनाती के दौरान खनन घोटाला से जुड़ा मामला बताया जा रहा है। इस छापेमारी में बड़ी मात्रा में 47 लाख की नकद धनराशि और बड़ी मात्रा में बेनामी सम्पत्तियों के कागज बरामद हुए हैं।
इसी क्रम में सीबीआई ने यहां राजधानी लखनऊ में एक अन्य मामले में वरिष्ठ आईएएस व कौशल विकास विभाग के एमडी विवेक के अंसल के सुशांत गोल्फ सिटी स्थित आवास पर छापा मारा। सीबीआई विवेक के अंसल स्थित आवास पर सुबह सात बजकर 40 मिनट पर पहंची। सीबीआई को विवेक के यहां छापे में तमाम सम्पत्तियों के कागज मिले हैं।
इसी तरह सीडीओ आजमगढ़ देवी शरण उपाध्याय के यहां भी सीबीआई ने छापे मारी की। उपाध्याय पूर्व में देवरिया के एडीएम रह चुके हैं। इनके यहां छापेमारी में 10 लाख रुपये नकद धनराशि के अलावा बेनामी सम्पत्ति मिली है।
बढ़ सकती हैं अखिलेश की मुश्किलें
केंद्रीय जांच ब्यूरो की कार्रवाई से पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। अभय कुमार सिंह सीबीआई की नजरों में तबसे हैं जब अखिलेश सरकार में वे फतेहपुर के जिला अधिकारी थे और खनन में अनियमितताएं पाई गई थीं। साल 2012 से 2017 तक अखिलेश यादव प्रदेश के मुख्यमंत्री थे, इसी बीच 2012 से 2013 तक खनन विभाग भी उनके पास था। अवैध खनन कथित रूप से 2012 से 2016 के बीच हुई। प्रदेश सरकार ने 2012 से 2016 के बीच कुल 22 ठेके जारी किए थे। इनमें से 14 ठेके तब जारी किए गए जब खनन विभाग अखिलेश के पास था और शेष ठेके गायत्री प्रजापति के खनन मंत्री रहने के दौरान जारी किए गए।
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