उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर में नदियों का उफान थमने के बाद भी बाढ़ का कहर जस का तस

Last Updated 22 Aug 2017 11:36:52 AM IST

नेपाल द्वारा पानी छोड़ने से उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिले मे राप्ती को छोड़ बाकी नदियों की उफान कम होने के बावजूद बाढ़ का कहर जस का तस बना हुआ है.


सिद्धार्थनगर जिले मे बाढ़ के हालात जस के तस

अधिकारिक सूत्रों ने आज बताया कि राप्ती का जलस्तर स्थिर है लेकिन अभी भी वह खतरे के निशान से एक मीटर ऊपर बह रही है, जबकि बूढ़ी राप्ती खतरे के ¨बदु से डेढ़ मीटर ऊपर, कूड़ा 1.75 मीटर ऊपर और घोघी 30 सेंटीमीटर ऊपर बह रही है. जमुआर नाले के 1.75 मीटर ऊपर बहने से जिले की पांचो तहसीलों के 850 से ज्यादा गांव बाढ़ की चपेट में है जिसमें से 425 से ज्यादा गांव बाढ़ के पानी से  चारों तरफ से घिरे हुए हैं.
       
उन्होंने बताया कि बाढ़ से पिछले 24 घंटे के दौरान पांच और लोगों की मृत्यु हो जाने से जिले में बाढ़ से मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 हो गई है.
       
नाव की कमी से सभी बाढ़ से घिरे गांव में राहत नहीं पहुंचाई जा सकी है जिससे बाढ़ प्रभावित इलाकों के बा¨शदे जहां फाकाकशी के शिकार हैं वहीं बाढ़ से बचने के लिए घरों की छतों, पेड़ों और ऊंचे स्थानों पर शरण ले रखी है. कल वाराणसी से 32 नाव आने के बाद उन्हें राहत कायरें में लगाया गया है जबकि राहत कायरें की निगरानी के लिए बस्ती मंडल के आयुक्त दिनेश सिंह और पुलिस उपमहानिरीक्षक आर के साहू जिले में कैंप कर रहे हैं.


 
सूत्रों ने बताया कि नदियों की कटान से कई बांधों को अभी खतरा बना हुआ है. जिले के 39 बांधों में 27 कटान स्थल संवेदनशील और 11 अति संवेदनशील पाए गए हैं जिनकी निगरानी बढ़ा दी गई है. बाढ़ से तीन लाख से ज्यादा की जनसंख्या और  50 हजार हेक्टेयर क्षेाफल प्रभावित हुआ है जिसमें से 40 हजार हेक्टेयर क्षेाफल में बोई गई फसल भी शामिल है.
       
उन्होंने बताया कि बाढ़ से जहां 147 सार्वजनिक संपत्तियां क्षतिग्रस्त हुई है वहीं समूचा बाढ़ प्रभावित इलाका पानी में डूबा हुआ है. उन्होंने बताया कि जमुआर नाले का जलस्तर घटने के बावजूद जिला मुख्यालय के राजेंद्र नगर कृष्णा नगर समेत कई मोहल्लों में अभी भी पानी भरा हुआ है.
      
सूत्रों ने बताया कि बाढ़ प्रभावित इलाकों में 47 बाढ़ चौकी, 11 राहत शिविर और 16  वितरण केंद्र खोले गए हैं. बाढ पीड़ितों की सहायता के लिये 215 नाव, 12 मोटर बोट, दो प्लाटून पीएसी, राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की तीन यूनिट और वायु सेना द्वारा हेलीकॉप्टर से राहत वितरण और बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने का काम किया जा रहा है.

 

वार्ता


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