जानें अमित शाह की यादवों के घर खाना खानें की वज़ह

Last Updated 30 Jul 2017 04:02:00 PM IST

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की दलित वोटों के बाद अब पिछडों खासकर मुलायम सिंह यादव के कट्टर समर्थक माने जाने वाले ‘यादव’ वोटों पर अब पैनी नजर है.


भाजपा अध्यक्ष अमित शाह (फाइल फोटो)

राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को लखनऊ में इसी वजह से पार्टी के बूथ लेबल कार्यकर्ता सोनू यादव के यहां अपना दोपहर का भोजन रखवाकर एक बडा संदेश देने की कोशिश की है. तीन दिन के दौरे पर लखनऊ आये श्री शाह ने दूसरे दिन सोनू यादव के यहां खाना खाने का निश्चय किया. सोनू यादव के यहां भोजन करने का खूब प्रचार भी करवाया गया.
    
उत्तर प्रदेश में यादव मतदाताओं की संख्या काफी है. 44 फीसदी पिछडे मतदाताओं में से करीब 09 फीसदी यादव हैं. लोधी मतदाता 07 प्रतिशत, जाट 1.7 फीसदी, कुशवाहा और कुर्मी 04-04 प्रतिशत हैं. पिछडे वर्ग के मतदाताओं में सर्वाधिक संख्या यादव की है. इस पर काफी दिनों से भाजपा की नजर है और शायद इसीलिये 2017 के राज्य विधानसभा चुनाव में पार्टी के वरिष्ठ नेता भूपेन्द्र यादव को महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी गयी थी.

केशव प्रसाद मौर्य को प्रदेश की कमान सौंपकर भाजपा ने पिछडे वर्ग के कुशवाहा मतदाताओं को अपनी ओर आकर्षित करने में सफलता पायी थी. स्वामी प्रसाद मौर्य के भाजपा में शामिल होने के बाद इस जाति के मतदाताओं ने भाजपा से अपने को और जोडा.
   
पिछडों में लोधी जाति के करीब 07 फीसदी मतदाता हैं. राजस्थान के राज्यपाल और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह की वजह से इस जाति के ज्यादातर मतदाता भाजपा समर्थक माने जाते हैं. श्री सिंह लोधी जाति के हैं.
    
काफी दिनो से भाजपा की नजर मुलायम सिंह यादव के पारम्परिक वोट बैंक माने जाने वाले यादव मतदाताओं पर थी. सोनू यादव के यहां भोजन कर शाह ने इस ‘मार्शल कौम’ को भाजपा की ओर खींचने का प्रयास किया है.
    
मुलायम सिंह यादव ने अपनी बिरादरी के किसी नेता को राज्य में मजबूत नहीं होने दिया. रामसुमेर यादव, बलराम यादव अपनी जातियों के बडे नेताओं में गिने जाते थे लेकिन मुलायम सिंह यादव ने धीरे-धीरे अपनी जाति का वटवृक्ष बनकर सभी को बौना कर दिया.

आजमगढ में रमाकांत यादव कई बार सांसद चुने गये. उनकी राजनीतिक कद काठी बढती जा रही थी. बिरादरी में बडे नेता के रुप में उभर रहे थे. मुलायम सिंह यादव ने 2014 में मैनपुरी छोड आजमगढ से लोकसभा का चुनाव लडा और रमाकांत को हराया. हार की वजह से लगातार आगे बढ रहे रमाकांत की तेजी में ब्रेक लगा. भाजपा उम्मीदवार के रुप में चुनाव लडे रमाकांत यादव को अभी भी इसकी टीस है.
    
अपनी पार्टी के वोट बैंक में लगातार इजाफा करने में जुटे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सबसे पहले भाजपा के पारम्परिक वोटों में दलितों को जोडना शुरु किया. दलितों के आदर्श बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर से जुडे पांच स्थानों को ‘पंचतीर्थस्थल’ घोषित कर उनका विकास करवाया. संत रविदास की जन्मस्थली वाराणसी में जाकर कई घंटे गुजारे. संत रविदास की जन्मस्थली पर जाने वाले वह पहले प्रधानमंत्री थे. इसके बाद दलित वर्ग से आने वाले रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति बनवाया. श्री कोविंद दूसरे दलित राष्ट्रपति हैं.
   
दलितों को भाजपा से जोडने की श्री मोदी की कवायद को बसपा अध्यक्ष मायावती ने काफी आलोचना की है. उन्होंने श्री मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं के खिलाफ कई बार तल्ख टिप्पणियां की हैं.
   
शनिवार को ही समाजवादी पार्टी (सपा) के दो और बहुजन समाज पार्टी (बसपा ) के एक विधानपरिषद के इस्तीफे पर सुश्री मायावती के साथ ही सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भाजपा पर तीखे बयान दिये. श्री यादव ने भाजपा पर उनके लोगों को तोडने का आरोप लगाते हुए इसे राजनीतिक भ्रष्टाचार तक कह डाला.

भाजपा को 2012 के राज्य विधानसभा चुनाव में 15 फीसदी वोट मिले थे. वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में यह वोट 24.6 प्रतिशत था. वर्ष 2012 में पार्टी का करीब आठ फीसदी वोट घटा क्योंकि पिछडों ने एकजुट होकर सपा को वोट देकर 2012 में उसकी सरकार बनवायी थी. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2014 में लोकसभा चुनाव लडी भाजपा को 31 प्रतिशत वोट हासिल हुए और केन्द्र उसने सरकार बनायी. वर्ष 2017 में राज्य विधानसभा के चुनाव में अबतक उसे मिले वोटों का रिकार्ड तोडते हुए 414 प्रतिशत वोट हासिल कर लिया.
    
राजनीतिक प्रेक्षक मानते हैं कि 2017 में रिकार्ड वोट पाने वाली भाजपा के बजाय पिछडे वर्ग के यादव और कुछ अन्य जातियों के ज्यादातर मतदाताओं ने उसे वोट नहीं दिया था. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य बार बार कहते हैं कि इस बार के चुनाव में भाजपा 60 फीसदी वोट हासिल करने के लिये कोई कोरकसर बाकी नहीं रखेगी. माना जा रहा है कि इसी लक्ष्य को पाने के लिये भाजपा ने जातियों को जोडना शुरु किया है और इसी क्रम में श्री शाह ने रविवार को सोनू यादव के यहां भोजन किया.


   
दूसरी ओर, भाजपा ने इस राजनीतिक अटकलबाजी को खारिज करते हुए कहा कि पार्टी जातिवाद में विश्वास नहीं करती. पार्टी के प्रदेश महामंत्री विजय बहादुर पाठक का दावा है कि सोनू यादव पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता हैं. पदाधिकारी हैं और इसीलिये श्री शाह, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य और पार्टी के कुछ और नेता सोनू यादव के यहां खाना खाने गये थे.

भाषा


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