प्राइमरी स्कूलों में अब केवल इमला पहाडा नहीं
मत्रिंयों की गाडी से लाल बत्ती उतरने को कोई चाहे जिस रूप मे ले लेकिन इससे सूबे की बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतां प्रभार) अनुपमा जायसवाल बेहद खुश है क्योंकि इससे उन्हें प्राइमरी स्कूलों में केवल इमला और पहाडा पढाये जाने की संस्कृति को रोकने में मदद मिल रही है.
![]() बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतां प्रभार) अनुपमा जायसवाल (फाइल फोटो) |
श्रीमती जायसवाल ने शुक्रवार को लखनऊ में कहा कि उन्होंने कई स्कूलों का औचक निरीक्षण किया. गाडी में लाल बत्ती लगी होने की वजह से शिक्षक जान जाते थे और एक कमरे में वे इमला बोलने लगते थे जबकि दूसरे कमरे में बच्चे पहाडा पढने लगते थे. उन्होंने 50 से अधिक स्कूलों का निरीक्षण किया लेकिन ज्यादातर स्कूलों में यही नजारा देखने को मिला. लाल बत्ती नहीं रहने के कारण अब अध्यापकों या अध्यापिकाओं को उनके आने का पता नहीं चल पाता.
उन्होंने कहा कि अब केवल इमला या पहाडा की संस्कृति नहीं चलेगी. जिन विद्यालयों में यह नजारा मिलता है उसमें सबसे पहले वह पूछती हैं कि यह समय किस विषय का है. जिस विषय का पीरियड हो वही पढाया जाना चाहिए.
राज्य मंत्री ने स्वीकार किया कि बेसिक शिक्षा के हालात ठीक नहीं है. उनकी सरकार इसे दुरूस्त करने में लगी हुई है और इसके लिए जनसहभागिता बढाई जा रही है. प्राइमरी स्कूलों को गोद लिये जाने की व्यवस्था शुरू की गयी है. वह सांसदों, विधायकों, अधिकारियों और गणमान्य नागरिकों से कम से कम एक स्कूल गोद लेने की लगातार अपील कर रही हैं.
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