पेट्रोल की घटतौली के बाद एसटीएफ ने किया केरोसिन की कालाबाजारी का पर्दाफाश

Last Updated 05 May 2017 06:49:35 PM IST

पेट्रोल पम्पों पर चिप लगाकर घटतौली का खुलासा करने के बाद उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (एसटीएफ) ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत मिट्टी के तेल (केरोसिन) की सप्लाई में धांधली का पर्दाफाश किया है.


एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक (फाइल फोटो)

एसटीएफ के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने शुक्रवार को को लखनऊ में बताया कि केरोसिन की कालाबाजारी की सूचना पर एसटीएफ ने तीन मई को इण्डियन ऑयल, पनकी के गेट पर टैंकर को चिन्हित किया. इण्डियन ऑयल के अधिकारियों से यह पता कर लिया गया कि टैंकर को नवाबगंज, उन्नाव स्थित डीलर के गोदाम पर जाना है.

उन्होंने बताया कि उक्त वाहन डिपो से निकलकर यशोदानगर, कानपुर में चार मई तक रूका रहा जबकि टैंकर की इनवायस की डिटेल तीन मई को ही स्टाक रजिस्टर में अंकित कर दी गयी. सन्देह बढने पर एसटीएफ, कानपुर यूनिट की एक टीम भी बुला ली गयी. इस दौरान टैंकर यशोदानगर से चलकर बिल्कुल विपरीत दिशा में हमीरपुर की ओर बढने लगा, जिसे बिधुनू थाना से लगभग तीन किमी आगे रोक लिया गया.

दूसरी ओर एआरओ, उन्नाव और एसटीएफ टीम ने डीलर के गोदाम पर मौजूद उसके मैनेजर शिवशंकर से स्टॉक रजिस्टर लेकर देखा तो उसमें दिनांक 03 मई को गाडी की एन्ट्री के साथ-साथ 12000 लीटर केरोसिन की आमद दर्ज थी जबकि यह टैंकर एसटीएफ टीम द्वारा केरोसिन सहित उसी समय बिधुनू थाना क्षेत्र में पकड़ा जा चुका था. स्टॉक रजिस्टर में वही एन्वॉयस नम्बर अंकित था, जो ड्राईवर के पास से मूलरूप में बरामद की गयी.

पाठक ने बताया कि इस मामले में पीडीएस सिस्टम के केरोसिन ऑयल के पूरे के पूरे टैंकर को कालाबाजारी के लिए अवैध रूप से बिक्री करने के सम्बन्ध में जिलाधिकारी, उन्नाव द्वारा जांच कराकर अग्रिम कार्यवाही की जायेगी.



उन्होंने बताया कि जांच में पता चला कि ऑयल कंपनियां राज्य सरकार द्वारा त्रिमासिक डीलर कोटा लिस्ट के अनुसार केरोसिन निर्गत करते हैं. इसके लिए आवंटित डिपो पर डीलर अपने कोटे के अनुसार इण्डेन्ट तैयार कराता है और अपने अनुबन्धित ट्रांसपोर्टर की गाड़ी का नम्बर ऑयल कंपनी डिपो को उपलब्ध करा देता है.

निर्धारित तिथि पर अधिकृत ऑयल टैंकर डिपो से केरोसिन लेकर जैसे ही निकलता है, ऑटोमेटिक सिस्टम द्वारा डीलर को पूरा विवरण एस.एम.एस. हो जाता है. डीलर उक्त केरोसिन को पूर्ति अधिकारी द्वारा प्राधिकृत अधिकारी की उपस्थिति में अपने स्टॉक में एन्ट्री करता है और सभी सम्बन्धित स्टॉक रजिस्टर पर हस्ताक्षर करते हैं. इसके बाद जिला पूर्ति अधिकारी द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूची के अनुसार यह डीलर अपने क्षेत्र के कोटेदारों को निर्धारित मात्रा में केरोसिन निर्गत कर देता है.

पाठक ने बताया कि यह भी जानकारी हुई कि डीलर को डिपो से केरोसिन वर्तमान समय में रू. 18.10 प्रति लीटर मिलता है और वह कोटेदार को रू. 18.94 प्रतिलीटर की दर से उपलब्ध कराता है. खुले बाजार में केरोसिन की कीमत लगभग 50 रुपये प्रति लीटर रहती है. दाम में इतना बड़ा अन्तर इस सिस्टम में सेंध लगाकर केरोसिन को ऊंचे दामों पर बेचने का मुख्य कारण है.

उन्होंने बताया कि अवैध रूप से पी.डी.एस. सिस्टम का केरोसिन ऑयल बेचने के रैकेट के सम्बन्ध में पता चला कि डीलर तीन स्तर पर गड़बड़ियां कर रहे हैं. पहला उन्हें ऑयल कम्पनियों से मिलने वाले केरोसिन को 40 से 45 रुपये प्रति लीटर की दर से पूरा पूरा कालेबाजारी करने वालों को बेचना, दूसरा कूटरचित ढंग से उक्त कोटे को अपने स्टॉक में अंकित कर सम्बन्धित सक्षम अधिकारियों का हस्ताक्षर प्राप्त करना और तीसरा डीलर से जुड़े कोटेदारों को उनके कोटे के एक हिस्से की पूर्ति और बदले 30 से 35 रूपये प्रति लीटर की दर से भुगतान कर देना शामिल है.

इस प्रकार कोटेदार को लगभग 11 से 15 रुपये प्रति लीटर का अनुचित लाभ, डीलर को 21 से 25 रुपये प्रति लीटर का अनुचित लाभ मिल जाता है.

वार्ता


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