अजमेर: ईद के मौके पर शनिवार को खुलेगा जन्नती दरवाजा, होगी रहबर की कुर्बानी

Last Updated 01 Sep 2017 03:00:34 PM IST

राजस्थान में अजमेर ख्वाजा नवाज की दरगाह में ईद के मौके पर कल रहबर (बकरा) की कुर्बानी दी जाएगी और इस खास मौके पर कल तड़के आस्ताना खुलने के साथ ही जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाएगा.


राजस्थान में अजमेर ख्वाजा नवाज की दरगाह (फाइल फोटो)

खादिम सैयद्द अब्दुल गनी गुर्देजी वर्ष 1963 से यहां कुर्बानी की रस्म अदा करते आ रहे है. इस बार भी वे दरगाह के पिछवाड़े अपने निवास ख्वाजा महल से रहबर की बग्गी में सवारी आज निकालेंगे और ईद के मौके पर कल सुबह दस बजे पंजतन पाक के पांच नाम से रहबर की कुर्बानी देंगे.

गुर्देजी ने बताया कि वह बकरा पालकर हर साल कुर्बानी देते आए है और धर्म के अनुसार बकरा पालकर कुर्बानी देने की फजीलत ज्यादा होती है. रहबर को राजस्थान के मकराना से एक साल पूर्व 35000 रुपये में खरीदा गया और यह देशी मारवाड़ी नस्ल का बकरा है.
       
उन्होंने बताया कि तीन साल के रहबर को सुबह नाश्ते में दूध जलेबी दिया जाता है और दिन में खाने में हरा चारा तथा रात को एक किलो चने की दाल खिलाते है. यह बकरा दरगाह क्षेा में चर्चा एवं आकषर्ण का केंद्र बना हुआ है जिसकी कल कुर्बानी देकर ईदुलजुहा मनाया जाएगा.


      
शहर में कुर्बानी के लिए बकरों की खरीद फरोख्त बड़े पैमाने पर हो रही है. बकरा मंडी में बकरों की आवक तथा खरीददारों की मौजूदगी से रौनक बरकरार है. कुछ लोगों ने ऑनलाइन बकरें भी बुक करा रखे हैं जो आज रात तक कुर्बानी के लिए खरीददार को सौंप दिए जाएंगे.

ईद के मौके पर कल खुलेगा जन्नती दरवाजा
राजस्थान में अजमेर ख्वाजा दरगाह में ईद के मौके पर कल तड़के आस्ताना खुलने के साथ ही जन्नती दरवाजा भी खोल दिया जाएगा जो नमाज के बाद दोपहर तीन बजे खिदमत के वक्त बंद किया जाएगा.

दरगाह कमेटी ने ईद की नमाज के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली है और ईद की मुख्य नमाज केसरगंज स्थित ईदगाह पर होगी.

दाउदी बोहरा समाज ने आज परंपरागत तरीके से अजमेर में ईदुलजुहा मनाया. सिनेमा रोड़ स्थित शिवाजी पार्क के पास स्थित बोहरा मस्जिद में सुबह साढें छह बजे ईदुलजुहा की नमाज अदा की गई. नमाज की धार्मिक रस्म निभाने के बाद दाउदी बोहरा समाज के लोगों ने अपने अपने घरों पर बकरों की कुर्बानी दी और खुशहाली की कामना की.

गौरतलब है कि ईद-ए-कुर्बा (बकरा ईद) अल्लाह के पैगंबर हजरत इब्राहिम खलीलुल्लाह के अपने बेटे हजरत इस्माइल की कुर्बानी देने और अल्लाह ने उसे कूबूल करने की याद में तकरीबन दो हजार साल से मनाई जाती आ रही है.

वार्ता


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