ओडिशा के पुरी में जय जगन्नाथ के उद्घोष के साथ रथयात्रा महोत्सव में हजारों की संख्या में श्रद्धालुओं ने भगवान जगन्नाथ व उनके भाई-बहन के रथों को श्री गुंडिचा मंदिर तक के लिए खींचना शुरू किया। 12 दिन चलने वाली रथ यात्रा का आज दूसरा दिन है।

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रथों को शुक्रवार शाम तक भगवान बलभद्र, देवी सुभद्रा और भगवान जगन्नाथ की मौसी का स्थान माने जाने वाले गुंडिचा मंदिर तक पहुंचना था, लेकिन भगवान बलभद्र का तलध्वज रथ के एक मोड़ पर फंस जाने के कारण श्रद्धालुओं को ग्रैंड रोड पर रुकना पड़ा, जिससे अन्य दो रथ भी आगे नहीं बढ़ सके।
रथों को कड़ी सुरक्षा के बीच रात भर सड़क पर रखा गया।
‘जय जगन्नाथ’ के जयकारों के साथ सुबह के अनुष्ठान पूरे करने के बाद शनिवार सुबह करीब 10 बजे रथ खींचने की प्रक्रिया फिर शुरू हुई।
पुरी में रात में ठहरे हजारों श्रद्धालु घंटे एवं शंख की ध्वनि के बीच रथ खींचने में शामिल हुए।
रथ अब गुंडिचा मंदिर की ओर अग्रसर हैं। गुंडिचा मंदिर 12वीं सदी के जगन्नाथ मंदिर से 2.6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।
अधिकारियों ने बताया कि शनिवार को रथ यात्रा के दौरान बीमार पड़े 600 से अधिक श्रद्धालुओं का पुरी के विभिन्न अस्पतालों में इलाज किया गया।
धक्का-मुक्की के कारण कई लोग घायल हो गए, जबकि 200 से अधिक लोग गर्मी और उमस भरे मौसम के कारण बेहोश हो गए।
अधिकारियों ने बताया कि वार्षिक रथ यात्रा के लिए करीब दस लाख श्रद्धालु पुरी पहुंचे हैं। उन्होंने बताया कि शनिवार को हल्की बारिश के बावजूद मौसम अनुकूल रहा।
ऐसा मान्यता है कि रथ के स्पर्श मात्र से ही श्रद्धालुओं पर भगवान जगन्नाथ की कृपा हो जाती है।
ओडिशा पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (सीएपीएफ), राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (एनएसजी) और अन्य के करीब 10,000 जवानों की तैनाती के साथ अभूतपूर्व सुरक्षा व्यवस्था के बीच वार्षिक रथ यात्रा आयोजित की जा रही है।
पुलिस ने रथ यात्रा के सुचारू संचालन के लिए सभी इंतजाम किए हैं। पुलिस माहनिदेशक (डीजीपी) वाई. बी. खुरानिया ने बताया कि भीड़ पर नजर रखने के लिए 275 से अधिक एआई (कृत्रिम बुद्धिमत्ता) से लैस सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं।
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