Ahmedabad Plane Crash: 146वीं वर्षगांठ के दिन भी BJ मेडिकल कॉलेज में गमगीन माहौल

Last Updated 16 Jun 2025 01:56:42 PM IST

अहमदाबाद के बी जे मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल के परिसर में सोमवार को भी मातम पसरा रहा। 12 जून को एअर इंडिया विमान दुर्घटना में मारे गए अपने प्रियजनों के शवों की शिनाख्त का इंतजार कर रहे परिजन शोक में डूबे रहे और अपने सहकर्मियों को खोने वाले चिकित्सक बहादुरी दिखाते हुए मरीजों के इलाज में जुटे रहे।


अहमदाबाद के करीब 150 वर्ष पुराने इस चिकित्सा संस्थान का आज स्थापना दिवस है लेकिन वहां जश्न के बजाय विलाप करते परिजनों को देखा गया।

अहमदाबाद विमान दुर्घटना ने बीजेएमसी के रिहायशी क्वार्टरों और जीवित बचे लोगों के मन पर गहरे घाव छोड़े हैं। इस दुर्घटना में विमान में सवार 241 यात्रियों और चालक दल के सदस्यों की मौत हो गयी जबकि एक यात्री चमत्कारिक रूप से बच गया।

गत बृहस्पतिवार दोपहर को सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से उड़ान भरने के कुछ ही देर बाद लंदन जा रहा बोइंग 787-8 ड्रीमलाइनर विमान अहमदाबाद के मेघाणीनगर इलाके में मेडिकल कॉलेज परिसर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया था।

उस दिन कई मेडिकल छात्र और रेजीडेंट डॉक्टर बीजेएमसी के छात्रावास के मेस में भोजन करने के लिए बैठे ही थे कि विमान का अगला हिस्सा इमारत से टकरा गया था, जिसके बाद वहां तबाही मच गयी।

इस हादसे में विमान में सवार 241 यात्रियों के अलावा एमबीबीएस के पांच छात्रों समेत 29 अन्य लोगों की भी मौत हो गयी।

दुर्घटना के तुरंत बाद विमान के मलबे के टुकड़े छात्रावास के चारों ओर बिखरे दिखायी दिए थे जबकि दुर्घटना के परिणामस्वरूप क्षतिग्रस्त हुई उसकी इमारतों पर अब भी कालिख की मोटी परतें जमी हुई हैं।

चेन्नई निवासी और बायरामजी जीजीभॉय मेडिकल कॉलेज (बीजेएमसी) के द्वितीय वर्ष के एमडी छात्र अरुण प्रशांत ने उस भयावह दिन को याद किया कि कैसे उसने बचने के लिए छात्रावास की पहली मंजिल से छलांग लगा दी थी।

प्रशांत ने दुर्घटना के एक दिन बाद अहमदाबाद में पत्रकारों को बताया, ‘‘मैं दोपहर करीब डेढ़ बजे भोजन करने के लिए आया था। भोजन करते वक्त मैंने एक विस्फोट की तेज आवाज सुनी और अचानक चारों तरफ धुआं फैल गया। मैं सीढ़ियों की ओर भागा और फिर इमारत की पहली मंजिल से छलांग लगा दी।’’

उसने बताया, ‘‘हम अतुल्यम (छात्रावास) में करीब 20-30 लोग थे...हमें इमारत से बाहर निकलने के बाद ही पता चला कि यह विमान दुर्घटना थी।’’

छात्रावास की मेस की इमारत में खतरनाक तरीके से फंसे विमान के अगले हिस्से की तस्वीरें और जमीन पर बिखरें उसके टुकड़े तथा जली हुई लाशों का ढेर अब भी इस हादसे का गवाह बने लोगों को डराता है।

कॉलेज में प्रथम वर्ष के रेजीडेंट डॉक्टर सागर पंजवानी ने कहा कि दुर्घटना के बाद लगी आग में कई छात्रों के लैपटॉप, मोबाइल फोन, कपड़े और अन्य सामान स्वाहा हो गया।

इस मेडिकल परिसर में अहमदाबाद सिविल अस्पताल के साथ ही कॉलेज के कई अस्पताल स्थित हैं और वहां अभी गमगीन माहौल है। शोकाकुल परिजन अपने प्रियजनों के शवों की शिनाख्त होने का इंतजार कर रहे हैं।

अधिकारियों ने रविवार को बताया कि मृतकों में शामिल गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी की पहचान भी डीएनए जांच से कर ली गयी है।

अस्पताल प्राधिकारियों ने पुष्टि की है कि अब तक डीएनए मिलान के माध्यम से 87 मृतकों की पहचान कर ली गई है और 47 लोगों के शवों को उनके परिवारों को सौंप दिया गया है।

बीजेएमसी भारत के सबसे पुराने मेडिकल कॉलेज में से एक है और सोमवार को इसकी 146वीं वर्षगांठ है।

अहमदाबाद मेडिकल स्कूल के रूप में 1871 को अपने सफर की शुरुआत करने वाला यह संस्थान अपनी स्थापना के बाद से ही चिकित्सा शिक्षा का महत्वपूर्ण हिस्सा रहा है।

इसकी आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, ‘‘शुरुआत में यह अहमदाबाद सिविल अस्पताल से संबद्ध था, लेकिन इसकी शुरुआत अस्पताल सहायक के रूप में प्रशिक्षण लेने वाले सिर्फ़ 14 छात्रों से हुई थी। 1879 में सर बायरामजी जीजीभॉय द्वारा 20,000 रुपये का दान देने के बाद इसका नाम भी बदलकर बी जे मेडिकल स्कूल कर दिया गया।’’

वेबसाइट पर दी जानकारी के अनुसार इस संस्थान का लगातार विस्तार हुआ और 1917 में इसे बॉम्बे के कॉलेज ऑफ फिजिशियन एंड सर्जन्स से और बाद में 1946 में बॉम्बे विश्वविद्यालय से संबद्धता प्राप्त हुई, जिससे इसे बी जे मेडिकल कॉलेज का दर्जा प्राप्त हुआ।

इस त्रासदी के बाद भी प्रतिष्ठित संस्थान के चिकित्सक मरीजों के उपचार में जुटे हुए हैं।
 

भाषा
अहमदाबाद


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