कोलकाता पुलिस ने सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला वीडियो अपलोड करने के आरोप में 22 वर्षीय महिला ‘इंस्टाग्राम इन्फ्लुएंसर’ को "अवैध रूप से" गिरफ्तार किए जाने को लेकर हो रही आलोचनाओं को सिरे से खारिज करते हुए दावा किया है कि इस बाबत सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया है।
 |
पुलिस ने सोशल मीडिया ‘इन्फ्लुएंसर’ शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी का बचाव करते हुए कहा कि मामले की "उचित जांच की गई और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन किया गया।"
कोलकाता पुलिस ने रविवार को फेसबुक पर एक पोस्ट में कहा, “ कोलकाता पुलिस ने विधि द्वारा स्थापित प्रक्रिया के अनुसार कानूनी रूप से कार्य किया। आरोपी को देशभक्ति या व्यक्तिगत आस्था व्यक्त करने के लिए गिरफ्तार नहीं किया गया; बल्कि उसके खिलाफ समुदायों के बीच घृणा को बढ़ावा देने वाली आपत्तिजनक सामग्री साझा करने के लिए कानूनी कार्रवाई की गई।”
कोलकाता पुलिस ने कहा, "मामले की विधिवत जांच की गई और कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए, आरोपी को बीएनएसएस (भारत न्याय संहिता) की धारा 35 के तहत नोटिस देने के कई प्रयास किए गए, लेकिन हर बार वह फरार थी।"
इसने कहा, "इसके परिणामस्वरूप सक्षम अदालत द्वारा गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया, जिसके बाद उसे दिन के समय गुड़गांव से वैध तरीके से गिरफ्तार किया गया। इसके बाद उसे उपयुक्त मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और कानून की उचित प्रक्रिया के अनुसार उसका ट्रांजिट रिमांड प्रदान किया गया। बाद में अदालत ने उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया।"
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 35 उन परिस्थितियों को रेखांकित करती है जिनके तहत पुलिस अधिकारी किसी व्यक्ति को वारंट या अदालती आदेश के बिना गिरफ्तार कर सकते हैं।
कोलकाता पुलिस ने कथित तौर पर सांप्रदायिक टिप्पणियों वाला एक वीडियो अपलोड करने के लिए युवती को गिरफ्तार किया था, जिसमें दावा किया गया था कि बॉलीवुड कलाकार ‘ऑपरेशन सिंदूर’ पर चुप हैं।
कोलकाता पुलिस ने कहा, "कुछ सोशल मीडिया अकाउंट गलत सूचना फैला रहे हैं कि कोलकाता पुलिस ने पाकिस्तान का विरोध करने के लिए कानून की एक छात्रा को गैरकानूनी रूप से गिरफ्तार किया है। यह विमर्श शरारती और भ्रामक है।"
युवती के खिलाफ एक वीडियो पोस्ट करने के आरोप में 15 मई को गार्ड रीच थाने में मामला दर्ज किया गया था। वीडियो को लेकर कोलकाता पुलिस ने दावा किया था, "यह भारत के नागरिकों के एक वर्ग की धार्मिक आस्था का अपमान करता है और विभिन्न समुदायों के बीच वैमनस्य और घृणा को बढ़ावा देता है।"
मामला भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की उचित धारा के तहत दर्ज किया गया था।
कोलकाता पुलिस ने कहा कि नफरती भाषण और अपमानजनक को संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) में निहित अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रूप में नहीं समझा जाना चाहिए। साथ ही सभी संबंधित लोगों से "जिम्मेदारी से काम करने और ऐसा कुछ भी करने से बचने का आग्रह किया, जिससे हमारे दुश्मनों को फायदा हो।"
| | |
 |