पूर्व PM राजीव गांधी हत्याकांड के 3 दोषी लौटे श्रीलंका, 2022 में SC से हुए थे रिहा

Last Updated 03 Apr 2024 12:43:43 PM IST

राजीव गांधी हत्याकांड के तीनों दोषी बुधवार को श्रीलंका लौट गए। तीनों दोषी श्रीलंकाई नागरिक हैं। अधिकारियों के मुताबिक, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के एक विमान से अपने देश रवाना हुए।


तीनों दोषी मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के नागरिक हैं तथा पूर्व प्रधानमंत्री की हत्या के मामले में तीन दशकों तक जेल की सजा काटने के बाद उच्चतम न्यायालय ने करीब दो वर्ष पहले उन्हें रिहा कर दिया था।

अधिकारियों के मुताबिक, मुरुगन उर्फ श्रीहरन, जयकुमार और रॉबर्ट पायस श्रीलंका के एक विमान से बुधवार को कोलंबो के लिए रवाना हुए।



तमिलनाडु सरकार ने पिछले महीने मद्रास उच्च न्यायालय को सूचित किया था कि श्रीलंकाई उच्चायोग ने मुरुगन और अन्य को यात्रा दस्तावेज जारी कर दिये हैं और विदेशी क्षेत्रीय पंजीकरण कार्यालय (एफआरआरओ) द्वारा निर्वासन आदेश जारी करने के बाद वे (सभी दोषी) घर वापस जा सकते हैं।

मुरुगन ने अदालत में याचिका दायर कर संबंधित अधिकारियों को उन्हें एक फोटो पहचान पत्र उपलब्ध कराने का निर्देश देने की मांग की थी।

उच्चतम न्यायालय ने इस हत्याकांड के मामले में नवंबर 2022 को सात दोषियों को रिहा किया था, जिसमें ये तीनों श्रीलंकाई नागरिक भी शामिल थे।

दोषियों की रिहाई के बाद उन्हें तिरुचिरापल्ली में एक विशेष शिविर में रखा गया था। वे कल रात यहां पहुंचे और आज (बुधवार को) कोलंबो के लिए रवाना हुए।

इससे पहले मुरुगन की पत्नी नलिनी ने भी अदालत का रुख कर अधिकारियों को यह निर्देश देने की मांग की थी कि उनके पति को 'सभी देशों का पासपोर्ट' प्राप्त करने के लिए यहां श्रीलंकाई उच्चायोग के सामने पेश होने की अनुमति दी जाए।

दंपति का मकसद अपनी बेटी से मिलना है, जो फिलहाल ब्रिटेन में रह रही है।

मामले में दोषी ठहराए गए एक अन्य श्रीलंकाई नागरिक संथन की हाल ही में यहां मौत हो गई थी।

इस मामले में जिन अन्य लोगों को दोषी ठहराया गया और रिहा किया गया वे सभी भारतीय हैं।

रिहा किये गये दोषियों में पेरारिवलन, रविचंद्रन और नलिनी शामिल हैं। सभी सातों दोषियों ने 30 वर्षों से अधिक समय जेल में बिताया था।

नलिनी ने घर वापस जाने से पहले बुधवार को हवाई अड्डे पर मुरुगन और अन्य लोगों से मुलाकात की।

राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को श्रीपेरंबुदूर के पास प्रतिबंधित लिट्टे की एक आत्मघाती हमलावर ने चुनावी सभा के दौरान हत्या कर दी थी।

इस मामले में सात लोगों को दोषी ठहराया गया था, जिनमें से नलिनी समेत चार को मौत की सजा दी गई थी लेकिन बाद में इसे उम्रकैद में तब्दील कर दिया गया।

 

भाषा
तमिलनाडु


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