केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने बुधवार को कहा कि महाराष्ट्र में गैर-मराठी भाषियों पर ‘दादागिरी’ करना गलत है और देवेंद्र फडणवीस सरकार ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी। आठवले ने कहा, “जो लोग इस तरह की दादागिरी करते हैं उन्हें सबक सिखाया जाएगा।”

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केंद्रीय सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता राज्य मंत्री रामदास आठवले ने जोर देकर कहा कि इस मुद्दे पर उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे का रुख बालासाहेब ठाकरे के दृष्टिकोण के विपरीत है।
महाराष्ट्र के नेता ने यहां संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, “मैंने बोला कि यह गलत काम हो रहा है। मराठी आना चाहिए यहां तक ठीक है। मराठी सीखो यह उनका बताना ठीक है। लेकिन दादागिरी करना, उनको थप्पड़ लगाना ये ठीक नहीं है। मुंबई में रहने वाले लोगों के साथ दादागिरी करना ठीक नहीं है।”
उन्होंने कहा, “जिन्होंने दादागिरी की है उनके खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की है और ये दादागिरी हमारी सरकार नहीं चलने देगी।”
आठवले ने कहा कि मराठी के नाम पर गलत राजनीति की जा रही है।
उन्होंने यह भी कहा कि मुंबई भारत की आर्थिक राजधानी है और राजस्थान, गुजरात और कई दक्षिण भारतीय राज्यों के लोग वहां रहते हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “हिंदी का विरोध नहीं है। ये भावना थी कि पहली कक्षा से हिंदी पढ़ाना ठीक नहीं है। पांच-छह साल के बच्चे के लिए अनिवार्य करना ठीक नहीं है।”
आठवले ने कहा, “बालासाहेब ठाकरे ने शिवसेना की स्थापना इसलिए की थी ताकि मराठी लोगों को न्याय मिले। बाद में, उद्धव और राज ठाकरे जो काम कर रहे हैं, वह बालासाहेब ठाकरे जी की भूमिका के खिलाफ है।’’
उन्होंने कहा, “हमें भी मराठी से प्रेम है। दादागिरी का जवाब दादागिरी से दिया जा सकता है। महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस की सरकार है और दादागिरी करने वालों को सबक सिखाया जाएगा।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गैर-मराठी लोग भी मुंबई के विकास में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
उन्होंने कहा, “टाटा, बिड़ला, अंबानी और अदाणी जैसे बड़े उद्योगपतियों ने इसमें बड़ी भूमिका निभाई है तथा ऐसी घटनाएं मुंबई की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाती हैं।”
आठवले ने कहा कि मुंबई में लगभग 60 प्रतिशत लोग गैर-मराठी हैं और इनमें से 80 प्रतिशत मराठी बोलते हैं लेकिन 20 प्रतिशत नहीं बोलते।
उन्होंने कहा, “हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है। हमारी सरकार इस तरह की दादागिरी बर्दाश्त नहीं करेगी।”
रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (ए) के प्रमुख आठवले ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व की प्रशंसा करते हुए कहा कि उन्हें 2029 तक इस पद पर बने रहना चाहिए।
उन्होंने कहा, “मेरी पार्टी का मानना है कि मोदी 2029 तक प्रधानमंत्री बने रहें। आरएसएस 75 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होने के बारे में क्या कहता है, मुझे नहीं पता। लेकिन मोदी के नेतृत्व में सरकार वापस आ गई है और हमें 2029 तक मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में चाहिए।”
आठवले ने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण को लेकर उठे विवाद पर कहा कि इस बात की जांच होनी चाहिए कि क्या बांग्लादेशी नागरिकों ने नाम बदलकर मतदाता सूची में नाम दर्ज कराया है?
उन्होंने कहा, “ऐसा संदेह है कि बांग्लादेशी लोग बिहार में नाम बदलकर रह रहे हैं। हमें पता लगाना चाहिए कि वे कहां पैदा हुए हैं।”
केंद्रीय मंत्री ने कहा, “अगर वे बिहार में पैदा हुए हैं, तो कोई समस्या नहीं है। लेकिन अगर वे बांग्लादेश में पैदा हुए हैं और उन्होंने नागरिकता नहीं ली है, तो उन्हें मतदाता सूची से हटा दिया जाना चाहिए।”
आठवले ने कहा कि राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेताओं की ‘सत्ता में आने की कामना’ करना एक लोकतांत्रिक अधिकार है।
उन्होंने आरपीआई के कांग्रेस के साथ पूर्व में गठबंधन के बारे में पूछे गये एक सवाल पर कहा, “कांग्रेस नेता राहुल गांधी अपने विचार रख सकते हैं। लोकतंत्र में किसी को भी सत्ता में आने का अधिकार है। भाजपा भी कभी विपक्ष में थी और सत्ता में आई थी।”
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