अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कहा है कि भारत के साथ प्रस्तावित व्यापार समझौता इंडोनेशिया के साथ किए गए करार के अनुरूप होगा।

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अमेरिका-इंडोनेशिया व्यापार समझौते के तहत, दक्षिण-पूर्व एशियाई देश अमेरिकी उत्पादों को अपने बाजार में पूरी पहुंच प्रदान करेगा, जबकि इंडोनेशिया की वस्तुओं पर अमेरिका में 19 प्रतिशत शुल्क लगेगा।
इसके अलावा, इंडोनेशिया ने अमेरिका से 15 अरब डॉलर की ऊर्जा खरीद, 4.5 अरब डॉलर के कृषि उत्पाद और 50 बोइंग जेट खरीदने की प्रतिबद्धता जताई है।
ट्रंप ने बाद में संवाददाताओं से कहा, ‘‘भारत मूलतः उसी दिशा में काम कर रहा है। हमें भारत में प्रवेश मिलेगा। आपको समझना होगा कि इनमें से किसी भी देश में हमारी पहुंच नहीं थी। हमारे लोग वहां नहीं जा सकते थे और अब हमें वहां प्रवेश मिल रहा है। यही हम शुल्क के जरिये कर रहे हैं...।’’
भारतीय दल प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बीटीए) पर पांचवें दौर की वार्ता के लिए वाशिंगटन में है।
शोध संस्थान ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव (जीटीआरआई) ने ट्रंप के बयान पर टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर भारत इस तरह के ‘असंतुलित’ समझौते को स्वीकार करता है, तो उसके घरेलू क्षेत्र, खासकर डेयरी और कृषि, शुल्क-मुक्त अमेरिकी वस्तुओं के संपर्क में आ सकते हैं, जबकि बदले में उसे बहुत कम लाभ होगा।
जीटीआरआई के संस्थापक अजय श्रीवास्तव ने कहा, ‘‘पारस्परिक लाभ के बिना भारत के साथ एक खराब समझौता, किसी भी करार के न होने से भी बदतर हो सकता है... इसलिए भारत को पारदर्शी तरीके से बातचीत करनी चाहिए, एकतरफा नतीजों से बचना चाहिए और दीर्घकालिक आर्थिक हितों से समझौता करने वाले त्वरित, प्रतीकात्मक समझौतों के दबाव में नहीं आना चाहिए।’’
भारतीय वाणिज्य मंत्रालय के दल की अमेरिका यात्रा महत्वपूर्ण है क्योंकि दोनों पक्षों को कृषि और वाहन जैसे क्षेत्रों में समस्याओं का समाधान करना है।
यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका ने भारत सहित कई देशों पर अतिरिक्त शुल्क को एक अगस्त तक के लिए टाल दिया है।
भारत ने कृषि और डेयरी उत्पादों पर शुल्क में रियायत की अमेरिकी मांग पर अपना रुख कड़ा किया हुआ है। भारत ने अबतक डेयरी क्षेत्र में मुक्त व्यापार समझौते में अपने किसी भी व्यापारिक साझेदार को शुल्क के स्तर पर कोई रियायत नहीं दी है।
भारत इस अतिरिक्त शुल्क (26 प्रतिशत) को हटाने की मांग कर रहा है। वह स्टील और एल्युमीनियम (50 प्रतिशत) और वाहन (25 प्रतिशत) क्षेत्रों को शुल्क में ढील की भी मांग कर रहा है। भारत ने इसके खिलाफ विश्व व्यापार संगठन के मानदंडों के तहत जवाबी शुल्क लगाने का अपना अधिकार सुरक्षित रखा है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दो अप्रैल को भारत सहित कई देशों पर शुल्क लगाने की घोषणा की थी। हालांकि, बाद में इसे 90 दिन के लिए नौ जुलाई और फिर एक अगस्त तक के लिए टाल दिया गया।
अमेरिका कुछ औद्योगिक वस्तुओं, वाहन, खासकर इलेक्ट्रिक वाहनों, शराब, पेट्रोरसायन उत्पादों और डेयरी समेत कुछ कृषि उत्पादों पर शुल्क में छूट चाहता है।
दूसरी ओर, भारत प्रस्तावित व्यापार समझौते में कपड़ा, रत्न और आभूषण, चमड़े के सामान, परिधान, प्लास्टिक, रसायन, झींगा, तिलहन, अंगूर और केले जैसे श्रम-प्रधान क्षेत्रों के लिए शुल्क में रियायत चाहता है।
दोनों देश प्रस्तावित द्विपक्षीय व्यापार समझौते के पहले चरण के लिए बातचीत इस साल सितंबर-अक्टूबर तक पूरी करने की कोशिश कर रहे हैं। इससे पहले, वे एक अंतरिम व्यापार समझौते पर विचार कर रहे हैं।
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