West Bengal में अब सहकारी समिति की Money Laundering case की केंद्रीय एजेंसियां करेगी जांच
पश्चिम बंगाल एक और जांच का गवाह बनने जा रहा है, जिसमें नकदी उधार देने वाली सहकारी समिति द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) दोनों शामिल होंगे।
![]() केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) |
शुक्रवार की सुबह कलकत्ता हाईकोर्ट जलपाईगुड़ी सर्किट बेंच ने आदेश पारित कर केंद्रीय एजेंसियों को जांच शुरू करने का आदेश दिया है।
यह आदेश सर्किट बेंच में कल्पना दास सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर आधारित था। जिसमें आरोप लगाया गया था कि सहकारी समिति ने पहले निवेशकों से बाजार से भारी मात्रा में जमा राशि एकत्र की और फिर उससे जुड़े लोगों को ऋण के रूप में पैसा वितरित किया।
काफी समय बीत जाने के बाद भी ऋण नहीं लौटाने के बावजूद सहकारी समिति के अधिकारियों ने ऋण वसूली के लिए उनके खिलाफ कोई कार्रवाई शुरू नहीं की। इस मामले को पश्चिम बंगाल पुलिस की सीआईडी द्वारा जांच के लिए भेजा गया था, लेकिन जांच प्रक्रिया में कोई प्रगति नहीं हो सकी।
इसलिए याचिकाकर्ता ने मामले में केंद्रीय एजेंसी से जांच की मांग करते हुए सर्किट बेंच का दरवाजा खटखटाया।
सर्किट बेंच ने पाया कि प्रारंभिक गणना के अनुसार, उस सहकारी समिति में अपनी मेहनत की कमाई जमा करने वाले 21,163 निवेशकों से 50 करोड़ रुपये से अधिक की राशि का गबन हुआ था।
मनी लॉन्ड्रिंग का स्पष्ट मामला है, यह देखते हुए सर्किट बेंच ने दो केंद्रीय एजेंसियों द्वारा जांच का आदेश दिया। सर्किट बेंच ने ईडी और सीबीआई को 12 अक्टूबर तक दो अलग-अलग प्रगति रिपोर्ट पेश करने का भी आदेश दिया।
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