कर्नाटक में भाजपा की साख और कांग्रेस का वजूद दांव पर
कर्नाटक में राजनैतिक उठापटक जारी है। नेताओं का, एक पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में जाने का सिलसिला शुरू हो चुका है। कांग्रेस के कुछ नेता बीजेपी में शामिल हो चुके हैं, या जाने की तैयारी कर रहे हैं। उधर भाजपा के कुछ असंतुष्ट विधायक भी किसी अन्य पार्टी में शामिल होने का मन बना चुके हैं।
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कर्नाटक विधानसभा के चुनाव में जहां भाजपा की साख दांव पर लगी है, वहीं कांग्रेस 2018 की गलतियों से सबक लेते हुए इस बार किसी भी पार्टी से गठबंधन करने को तैयार नहीं है। वह अकेले ही चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है। साथ ही साथ दावा कर रही है कि इस बार कर्नाटक में कांग्रेस की ही सरकार बनेगी।
कर्नाटक में अभी भाजपा की सरकार है। बसवराज बोम्मई मुख्यमंत्री हैं। भाजपा नेता और कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री बी एस येदयुरप्पा और बोम्मई भले ही एक साथ होने का दवा कर रहे हों, लेकिन उनके बीच की खटास जगजाहिर है। भाजपा ने 50 से ज्यादा सिंटिंग विधायकों का टिकट काटकर पहली सूची जारी की थी, जिसमें 189 प्रत्याशियों के नाम थे। दूसरी सूची 23 उम्मीदवारों की जारी की गई है। सूची जारी होने के बाद बीजेपी के कुछ सिंटिंग विधायक नाराज हो गए हैं। पार्टी से नाराज तीन विधायकों ने भाजपा छोड़ बगावती तेवर अपना लिया है। इनमें मुख्य रूप से मुदिगेरे के विधायक एमपी कुमार स्वामी, नेहरू ओलेकर और गोलीहट्टी शेखर हैं।
इन तीनों ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि इन तीनों नेताओं के पार्टी छोड़ने के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, यह दवा कर रहे हैं कि पार्टी हाईकमान और वो खुद असंतुष्ट उम्मीदवारों से बात कर रहे हैं। जल्द से जल्द उनकी नाराजगी दूर कर दी जाएगी। पार्टी से इस्तीफा देने वाले नेताओं ने कर्नाटक की भाजपा इकाई पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एमपी कुमार स्वामी ने भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव सीटी रवि पर आरोप लगाते हुए कह दिया है कि उनकी वजह से ही उन्हें टिकट नहीं मिला। ऐसी अटकलें लगाई जा रही हैं कि दलित नेता एमपी कुमार स्वामी जेडीएस में शामिल हो सकते हैं।
भाजपा के असंतुष्ट विधायक नेहरू ओलेकर ने मुख्यमंत्री बोम्मई पर रिश्वत लेने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि हावेरी में शुरू की गई 1500 करोड़ रुपए की ड्रिप सिंचाई परियोजना में मोटी रिश्वत ली गई थी। मुख्यमंत्री बोम्मई ने इन आरोपों को निराधार बताया है, और साथ ही साथ कहा है कि नेहरू सबूत के साथ आएं और बताएं कि रिश्वत कहां और किस रूप में ली गई थी। बीजेपी आज तक कर्नाटक में साधारण बहुमत हासिल करने में कामयाब नहीं हो पाई है। कर्नाटक में सरकार बनाने के लिए 113 सीटें चाहिए होती हैं। भाजपा, 224 सीट में से 212 सीटों पर अपने प्रत्याशी घोषित कर चुकी है।
बीजेपी के एक और नेता जगदीश शेट्टार, जो कि 6 बार के विधायक रहे हैं, कर्नाटक के मुख्यमंत्री रहे, उनका भी नाम, इस बार उम्मीदवारों की लिस्ट में शामिल नहीं है। बीजेपी ने इस बार 18 मौजूदा विधायकों, दो एमएलसी और एक दर्जन से अधिक पूर्व विधायकों का टिकट काट दिया है। कर्नाटक विधानसभा के लिए गुरुवार से नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। कर्नाटक में ऐसा पहली बार हो रहा है, जब बीजेपी को विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है। इसी साल के अंत में राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं।
कर्नाटक विधानसभा चुनाव पर सभी पार्टियों की नजरें टिकी हुई हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में भाजपा और कांग्रेस की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। आमतौर पर वहां कांग्रेस और बीजेपी दोनों ही मजबूत हैं। भाजपा पर जहां अपनी सत्ता को बचाए रखने की चुनौती है वहीं कर्नाटक में कांग्रेस का वजूद दांव पर है। तीसरी पार्टी के रूप में जेडीएस है, जिसके नेता एचडी कुमार स्वामी किंगमेकर बनने का दावा कर रहे हैं। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में बीजेपी का सबका विकास,सबका विश्वास और सबका साथ वाला स्लोगन चरितार्थ होगा या फिर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान मिले समर्थन का असर देखने को मिलता है। यह देखने वाली बात होगी।
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