सरकार-न्यायपालिका में मतभेद है टकराव नहीं
केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने सरकार और न्यायपालिका के बीच किसी तरह के टकराव से इनकार करते हुए शनिवार को कहा कि लोकतंत्र में मतभेद अपरिहार्य हैं, लेकिन उन्हें टकराव नहीं समझा जाना चाहिए।
![]() केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन और मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी राजा की उपस्थिति में यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ‘माइलादुत्रयी’ क |
मंत्री ने भारत के प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन और मद्रास हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति टी राजा की उपस्थिति में यहां मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अदालत ‘माइलादुत्रयी’ का उद्घाटन किया। रिजिजू ने कहा, हमारे बीच मतभेद हैं लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि टकराव है। इससे दुनियाभर में एक गलत संदेश जाता है। मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूं कि देश के विभिन्न अंगों के बीच कोई दिक्कत नहीं है। यह मजबूत लोकतांत्रिक कार्यों के संकेत हैं, जो संकट नहीं हैं।
सरकार और सुप्रीम कोर्ट या विधायिका और न्यायपालिका के बीच कथित मतभेदों संबंधी मीडिया की कुछ खबरों की ओर इशारा करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा, हमें यह समझना चाहिए कि हम एक लोकतंत्र हैं। कुछ दृष्टिकोणों के संदर्भ में कुछ मतभेद होना तय है, लेकिन आप परस्पर विरोधी रुख नहीं रख सकते। इसका मतलब टकराव नहीं है। हम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हैं। उन्होंने कहा, केंद्र भारतीय न्यायपालिका के स्वतंत्र रहने का समर्थन करेगा।
उन्होंने पीठ और बार को एक ही सिक्के के दो पहलू करार देते हुए एकसाथ काम करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि अदालत परिसर विभाजित नहीं हो। उन्होंने कहा, एक के बिना दूसरे का अस्तित्व नहीं हो सकता। अदालत में उचित शिष्टाचार और अनुकूल माहौल होना चाहिए। उन्होंने कहा, कोई भी एक जैसा नहीं सोच सकता। उन्होंने कहा, हम पर किसी तानाशाह राजा का शासन नहीं है, इसलिए मतभेद को भारतीय लोकतंत्र का संकट नहीं कहा जा सकता। हम एक-दूसरे की आलोचना कर सकते हैं लेकिन जब राष्ट्रहित की बात आती है तो हमें एक होना चाहिए।
रिजिजू ने कहा, यह सुनिश्चित करने के लिए कि आम लोगों को उनकी संबंधित भाषाओं में आदेश प्राप्त हों, उनका मंत्रालय एक सामान्य मूल शब्दावली विकसित करने में सक्रिय है, जिसमें भारतीय भाषाओं में कुछ सामान्य उपयोग होंगे, जो कि विशुद्ध रूप से तकनीकी प्रकृति के हैं। महामारी के दौरान लोगों को न्याय दिलाने में उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए तमिलनाडु में अदालतों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा, तमिलनाडु में न्यायिक बुनियादी ढांचा भारत के कई राज्यों की तुलना में बेहतर है।
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