‘युवा त्रिमूर्ति’ ने जगाई गुजरात में कांग्रेस की उम्मीदें
गुजरात विधानसभा चुनाव से ठीक पहले पटीदारों, ओबीसी, दलितों के तीन युवा आंदोलनरत नेताओं का कांग्रेस को समर्थन या उसके प्रति झुकाव कांग्रेस की उम्मीदें जगा दी हैं.
हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकोर व जिग्नेश मेवाणी |
पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा गुजरात पर विशेष ध्यान देने के साथ ही राज्य में भाजपा सरकार के खिलाफ पिछले कई साल से दलितों और ओबीसी में पनपी नाराजगी को राष्ट्रीय पटल पर रखने में कामयाब रहे हार्दिक पटेल और अल्पेश ठाकोर ने भाजपा के खिलाफ कांग्रेस के समर्थन में उतरने के साथ ही गुजरात में कांग्रेस का कायाकल्प होने की संभावना और प्रबल हो गई है. पार्टी एनसीपी और जदयू से भी गठबंधन करने की कोशिश कर रही है.
शनिवार को ओबीसी नेता अल्पेश ठाकोर ने दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात की और कांग्रेस को समर्थन देने का वादा कर दिया. यही नहीं उन्होंने मीडिया को यह भी बताया कि वह 23 अक्टूबर को राहुल गांधी के गुजरात दौरे के समय कांग्रेस में शामिल होंगे.
उन्होंने यह भी बताया कि वह बनासकांठा से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव भी लड़ेंगे. पाटीदार अनामत आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल ने भी एक न्यूज चैनल से बातचीत में कहा कि वह भाजपा को हराने के लिए कांग्रेस को समर्थन करेंगे.
लेकिन उन्होंने यह भी साफ किया कि उनकी उम्र अभी चुनाव लड़ने की नहीं है लेकिन अपने समाज के हित में कांग्रेस को अपनी शर्त पर ही समर्थन करेंगे. वहीं दलित नेता जिग्नेश मेवाणी ने अभी कांग्रेस को समर्थन देने की बात तो नहीं की है, लेकिन भाजपा को हराने का दम वह लगातार भरते रहे हैं. उनके भी शीघ्र कांग्रेस के समर्थन में आने की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता. क्योंकि शनिवार को ही कांग्रेस नेता भरत सिंह सोलंकी ने उन्हें कांग्रेस के साथ आने का न्योता दिया है.
यह है तीनों समुदायों के वोटों का गणित
हार्दिक, अल्पेश और जिग्नेश की तिकड़ी का समर्थन मिलना कांग्रेस के लिए इसलिए भी संजीवनी जैसा लग रहा है, क्योंकि गुजरात में पाटीदार और दलित समुदाय की आबादी 25 फीसद है. पाटीदार 18 फीसद और दलित 7 फीसद हैं. ओबीसी की 146 जातियां साठ से ज्यादा सीटों पर प्रभावी व निर्णायक हैं.
गुजरात में आदिवासी समुदाय के बीच पहले से बेहतर जनाधार वाली कांग्रेस को दलित और ओबीसी समुदाय के इन लोकप्रिय नेताओं का समर्थन मिलने के साथ कांग्रेस की नजरें निश्चित तौर पर गुजरात के जरिए राष्ट्रीय राजनीति में दमदार वापसी पर है.
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