राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने शुक्रवार को कहा कि स्कूलों और उच्च शिक्षा संस्थानों में ‘स्मार्ट ब्लैकबोर्ड’, ‘स्मार्ट क्लासरूम’ और अन्य आधुनिक सुविधाओं का अपना महत्व है, लेकिन सबसे महत्वपूर्ण चीज ‘स्मार्ट’ शिक्षक हैं।

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एक शिक्षिका के रूप में अपने समय को याद करते हुए उन्होंने इसे अपने जीवन का बहुत ही सार्थक काल बताया।
मुर्मू विज्ञान भवन में राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार समारोह को संबोधित कर रही थीं, जहां उन्होंने 60 से अधिक शिक्षकों को शिक्षण और सीखने में उनके अनुकरणीय योगदान के लिए पुरस्कार प्रदान किए।
उन्होंने कहा, ‘‘स्मार्ट ब्लैकबोर्ड, स्मार्ट क्लासरूम और अन्य आधुनिक सुविधाओं का अपना महत्व है। लेकिन सबसे ज़रूरी है स्मार्ट शिक्षक... स्मार्ट शिक्षक वे शिक्षक होते हैं जो अपने छात्रों के विकास की ज़रूरतों को समझते हैं। स्मार्ट शिक्षक स्नेह और संवेदनशीलता से पढ़ाई को रोचक और प्रभावी बनाते हैं।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे शिक्षक छात्रों को समाज और राष्ट्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम बनाते हैं। समझदार शिक्षक बच्चों में सम्मान और सुरक्षा की भावना पैदा करने का काम करते हैं।’’
मुर्मू ने कहा कि विद्यार्थियों के चरित्र का निर्माण करना शिक्षक का प्राथमिक कर्तव्य है।
उन्होंने कहा, ‘‘नैतिक आचरण का पालन करने वाले संवेदनशील, ज़िम्मेदार और समर्पित छात्र, उन छात्रों से बेहतर होते हैं जो केवल प्रतिस्पर्धा, किताबी ज्ञान और स्वार्थ में रुचि रखते हैं। एक अच्छे शिक्षक में ज्ञान के साथ संवेदना भी होती है। संवेदना और ज्ञान का समन्वय छात्रों पर भी प्रभाव डालता है।’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘सबसे गरीब पृष्ठभूमि के बच्चे भी शिक्षा की शक्ति से उन्नति के शिखर को छू सकते हैं। बच्चों की उड़ान को शक्ति देने में स्नेही और समर्पित शिक्षक सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। शिक्षकों के लिए सबसे बड़ा पुरस्कार यह है कि उनके छात्र उन्हें जीवन भर याद रखें और परिवार, समाज और देश के लिए सराहनीय योगदान दें।’’
राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति का उद्देश्य भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति बनाना है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए, हमारे शिक्षकों को विश्व के सर्वश्रेष्ठ शिक्षकों के रूप में पहचान मिलनी चाहिए। हमारे संस्थानों और शिक्षकों को शिक्षा के तीनों क्षेत्रों - स्कूली शिक्षा, उच्च शिक्षा और कौशल शिक्षा में सक्रिय योगदान देना होगा। मुझे विश्वास है कि हमारे शिक्षक अपने महत्वपूर्ण योगदान से भारत को वैश्विक ज्ञान की महाशक्ति के रूप में स्थापित करेंगे।’’
शिक्षण के नए तरीकों से लेकर, छात्रों के विकास के प्रति समर्पण और कठिन परिस्थितियों में सीखने की उपलब्धियों को बढ़ाने के प्रयासों को लेकर विजेताओं को वार्षिक पुरस्कार समारोह में सम्मानित किया गया।
नवोन्मेषी शिक्षण पद्धति से लेकर प्रथम पीढ़ी के शिक्षार्थियों को प्रेरित करने तक पुरस्कार विजेताओं ने पूरे भारत में युवाओं को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
पुरस्कार वितरण समारोह से पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता शिक्षकों से बातचीत की।
उन्होंने हल्के-फुल्के अंदाज़ में कहा कि शिक्षक आमतौर पर छात्रों को होमवर्क (गृह कार्य) देते हैं, लेकिन वह उन्हें एक होमवर्क देना चाहते हैं कि वे स्वदेशी उत्पादों को बढ़ावा देने वाले अभियानों का नेतृत्व करें और ‘‘मेक इन इंडिया’’ तथा ‘‘वोकल फॉर लोकल’’ आंदोलनों को मज़बूत करें।
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