केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा हे कि भारत असैन्य परमाणु क्षेत्र में निवेश को लेकर वैश्विक स्तर पर निजी क्षेत्र की आशंकाओं का समाधान करेगा।

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देश में 2047 तक 100 गीगावाट परमाणु ऊर्जा उत्पादन के महत्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल करने के लिए असैन्य परमाणु क्षेत्र को निजी निवेश के लिए खोला गया है।
परमाणु ऊर्जा विभाग का प्रभार भी संभालने वाले सिंह ने कहा कि परमाणु ऊर्जा के क्षेत्र में निजी क्षेत्र को आसान बनाने के लिए प्रासंगिक नियमों और कानूनों में बदलाव करने होंगे, जिन पर इस समय सरकार का कड़ा नियंत्रण है।
सिंह ने एक विशेष वीडियो साक्षात्कार में पीटीआई-भाषा को बताया, ''आम बजट में इसकी घोषणा पहले ही की जा चुकी है, लेकिन हमें आगे बढ़ने के लिए नियम और संभावित कानून बनाने होंगे, जिसके लिए बहुत विचार-विमर्श और आत्मनिरीक्षण की जरूरत होगी।''
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने फरवरी में अपने बजट भाषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को सुगम बनाने के लिए परमाणु ऊर्जा अधिनियम और परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम सहित प्रमुख कानूनों में संशोधन करने की घोषणा की थी।
इस समय भारतीय परमाणु ऊर्जा निगम लिमिटेड (एनपीसीआईएल), भारतीय नाभिकीय विद्युत निगम लिमिटेड (भाविनी) और एनपीसीआईएल-एनटीपीसी की संयुक्त उद्यम कंपनी अणुशक्ति बिजली निगम लिमिटेड (अश्विनी) देश में परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर सकती हैं।
सिंह ने कहा कि परमाणु क्षति के लिए नागरिक दायित्व अधिनियम में कानूनी बदलावों का मकसद निजी क्षेत्र की चिंताओं का समाधान करना है, जो परमाणु ऊर्जा क्षेत्र में निवेश करने से हिचकिचा रहा है।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्यमंत्री सिंह ने कहा, ‘‘बात बस इतनी है कि आपूर्तिकर्ताओं की व्यावसायिक दृष्टि से अपनी आशंकाएं हैं। मुझे यकीन है कि समय के साथ, हम उनका समाधान भी कर पाएंगे, उन्हें संतुष्ट कर पाएंगे और उन्हें आगे बढ़ने के लिए भरोसा दिला पाएंगे।’’
सिंह ने कहा कि परमाणु क्षेत्र को निजी भागीदारी के लिए खोलने का फैसला अंतरिक्ष क्षेत्र में सुधार लाने से कहीं ज्यादा मुश्किल था।
उन्होंने कहा, ‘‘यह सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की व्यक्तिगत सहभागिता के कारण संभव हो पाया है।’’
मंत्री ने कहा कि 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने और वैश्विक स्तर पर शीर्ष अर्थव्यवस्था के रूप में स्थापित करने के लिए परमाणु क्षेत्र को खोलना बेहद जरूरी है।
सिंह ने कहा, ''अगर हमें इस लक्ष्य को हासिल करना है, तो हमारी रणनीति वैश्विक होनी चाहिए। क्योंकि हमें वैश्विक मानकों को पूरा करना है। इसलिए वैश्विक रणनीतियों के लिए हमें एकीकृत तरीके से आगे बढ़ना होगा, बिना किसी रुकावट के। हम वही रास्ता अपना रहे हैं, जो दूसरे विकसित देशों ने अपनाया है।''
मंत्री ने कहा कि सरकार ने उन विदेशी आपूर्तिकर्ताओं की चिंताओं को दूर करने की कोशिश की है, जिन्हें महाराष्ट्र के जैतापुर, गुजरात के मीठी विरदी और आंध्र प्रदेश के कोव्वाडा में परमाणु ऊर्जा पार्क विकसित करने के लिए जमीन आवंटित की गई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘भारत की स्थिति बहुत स्पष्ट थी, लेकिन आपूर्तिकर्ताओं की ओर से कुछ संशय है। इस सरकार के आने के तुरंत बाद, हमने एक बार नहीं, बल्कि कई बार यह स्पष्ट कर दिया कि यह आशंका गलत है।’’
मंत्री ने कहा कि किसी भी दुर्घटना की स्थिति में पहला दायित्व संयंत्र के संचालक पर होगा और फिर आपूर्तिकर्ता की जिम्मेदारी होगी, और एक निश्चित सीमा के बाद बीमा के जरिये बचाव किया जाएगा।
भारत इस समय 8,780 मेगावाट परमाणु ऊर्जा का उत्पादन करता है और 2031-32 तक इसे बढ़ाकर 22,480 मेगावाट करने की योजना है।
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