दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर रीजीजू की टिप्पणी पर चीन ने जताई आपत्ति

Last Updated 04 Jul 2025 08:34:24 PM IST

चीन ने शुक्रवार को अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू की इस टिप्पणी पर आपत्ति जताई कि दलाई लामा को अपनी इच्छानुसार उत्तराधिकारी का चुनाव करना चाहिए। चीन ने भारत से तिब्बत से संबंधित मुद्दों पर सावधानी से काम करने का आह्वान किया, ताकि द्विपक्षीय संबंधों में सुधार पर इसका प्रभाव न पड़े।


चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने रीजीजू की टिप्पणियों को लेकर पूछे गए एक सवाल का जवाब देते हुए यहां प्रेस वार्ता में कहा कि भारत को 14वें दलाई लामा की चीन विरोधी अलगाववादी प्रकृति के प्रति स्पष्ट होना चाहिए और ‘शिजांग’ (तिब्बत) से संबंधित मुद्दों पर अपनी प्रतिबद्धताओं का सम्मान करना चाहिए। चीन तिब्बत का उल्लेख ‘शिजांग’ के नाम से करता है।

माओ ने कहा कि भारत को अपने शब्दों और कार्यों में सावधानी बरतनी चाहिए, शिजांग से संबंधित मुद्दों पर चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करना बंद करना चाहिए और चीन-भारत संबंधों के सुधार और विकास को प्रभावित करने वाले मुद्दों से बचना चाहिए। 

अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रीजीजू ने बृहस्पतिवार को कहा कि अगले दलाई लामा पर फैसला सिर्फ स्थापित संस्था और दलाई लामा लेंगे। उन्होंने कहा कि इस फैसले में कोई और शामिल नहीं होगा।

यह दलाई लामा की ओर से अपने उत्तराधिकारी को लेकर की गई टिप्पणी पर सरकार के किसी वरिष्ठ पदाधिकारी की पहली प्रतिक्रिया है। 

तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा ने बुधवार को कहा था कि दलाई लामा संस्था जारी रहेगी और केवल ‘गादेन फोडरंग ट्रस्ट’ को ही उनके उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार होगा। 

रीजीजू की यह टिप्पणी चीन के नोबेल शांति पुरस्कार विजेता दलाई लामा की उत्तराधिकार योजना को खारिज करने और इस बात पर जोर देने के बाद आई है कि भावी उत्तराधिकारी को उसकी मंजूरी मिलनी चाहिए।     

बौद्ध धर्म के अनुयायी रीजीजू और उनके साथी केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह छह जुलाई को धर्मशाला में दलाई लामा के 90वें जन्मदिन के अवसर पर आयोजित होने वाले समारोह में भारत सरकार का प्रतिनिधित्व करेंगे।

रीजीजू ने कहा कि जन्मदिन समारोह एक धार्मिक आयोजन है और इसका राजनीति से कोई लेना-देना नहीं है। 

माओ ने चीन के इस रुख को दोहराया कि दलाई लामा और तिब्बती बौद्ध धर्म के दूसरे सबसे बड़े धर्म गुरु ‘पंचेन लामा’ के उत्तराधिकारी के लिए घरेलू प्रक्रिया, ‘स्वर्ण कलश’ से निकाले गए भाग्य पत्र और केंद्र सरकार की मंजूरी के अनुरूप कठोर धार्मिक अनुष्ठानों और ऐतिहासिक परंपराओं के अनुसार होना चाहिये।

उन्होंने कहा कि मौजूदा 14 वें दलाई लामा इस प्रक्रिया से गुजरे थे और तत्कालीन केंद्र सरकार ने उन्हें मंजूरी दी थी।

माओ ने कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी का चुनाव करते वक्त उन सिद्धांतों को कायम रखना चाहिए तथा धार्मिक अनुष्ठानों, ऐतिहासिक परंपराओं, चीनी कानून और नियमों का पालन करना चाहिए।

संबंधों में सुधार और विकास से संबंधित माओ की टिप्पणियां पूर्वी लद्दाख गतिरोध के बाद चार साल से अधिक समय तक गतिरोध के बाद भारत और चीन दोनों की ओर से संबंधों को सामान्य बनाने के प्रयासों को संदर्भित करती हैं।

पिछले वर्ष रूस के कजान में ब्रिक्स शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के बीच बैठक के बाद दोनों देशों के बीच संबंध पुनः बहाल हुए, जिसके बाद कई उच्च स्तरीय बैठकें हुईं।    

भाषा
बीजिंग


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