प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जी-7 नेताओं से कहा कि भारत का पड़ोस आतंकवाद का प्रजनन स्थल बन गया है और इस चुनौती की ओर से आंखें मूंदना "मानवता के साथ विश्वासघात" होगा और उन्होंने सीमा पार आतंकवादी गतिविधियों को समर्थन देने के लिए पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग की।

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यहां जी-7 संपर्क सत्र को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ हमला प्रत्येक भारतीय की "आत्मा, पहचान और गरिमा" पर सीधा हमला था। उन्होंने कहा कि आतंकवाद का समर्थन करने वाले किसी भी देश को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उसे इसकी कीमत चुकानी चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद से निपटने में "दोहरे मानदंडों" के लिए कोई स्थान नहीं होना चाहिए, तथा उन्होंने सवाल किया कि क्या आतंक फैलाने वालों और इससे पीड़ित लोगों को "एक ही तराजू पर तौला जाना चाहिए।"
मोदी मंगलवार को ऊर्जा सुरक्षा पर जी7 संपर्क सत्र को संबोधित कर रहे थे।
प्रधानमंत्री ने कहा, "आतंकवाद मानवता का दुश्मन है। यह लोकतांत्रिक मूल्यों को कायम रखने वाले सभी देशों के विरोध में खड़ा है। आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में एकजुटता जरूरी है।"
उन्होंने कहा, “"दुर्भाग्यवश, हमारा अपना पड़ोस आतंकवाद का प्रजनन स्थल बन गया है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, "वैश्विक शांति और समृद्धि के लिए हमारी सोच और हमारी नीतियां अत्यंत स्पष्ट होनी चाहिए - जो भी देश आतंकवाद का समर्थन करता है, उसे जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए और उसकी कीमत चुकानी चाहिए।"
मोदी ने कहा कि वास्तविकता इसके बिल्कुल विपरीत है।
उन्होंने कहा, ‘‘एक तरफ हम अपनी प्राथमिकता के आधार पर हर तरह के प्रतिबंध लगाने में जल्दबाजी करते हैं। दूसरी तरफ, जो देश खुले तौर पर आतंकवाद का समर्थन करते हैं, उन्हें पुरस्कृत किया जाता है।’’
प्रधानमंत्री ने कुछ प्रश्न भी पूछे। उन्होंने पूछा, “ क्या हम वाकई आतंकवाद से निपटने के लिए गंभीर हैं? क्या हम आतंकवाद का सही मतलब तभी समझ पाएंगे जब वह हमारे दरवाज़े पर दस्तक देगा?"
उन्होंने पूछा, "क्या आतंक फैलाने वालों और इससे पीड़ित लोगों को एक ही तराजू पर तौला जा सकता है? क्या हमारी वैश्विक संस्थाओं पर अपनी विश्वसनीयता खोने का खतरा है?"
प्रधानमंत्री ने आतंकवाद से निपटने के लिए निर्णायक वैश्विक कार्रवाई का आह्वान किया।
उन्होंने कहा, "यदि हम मानवता के खिलाफ खड़े इस आतंकवाद के खिलाफ आज निर्णायक कार्रवाई नहीं करते हैं, तो इतिहास हमें कभी माफ नहीं करेगा।"
मोदी ने कहा, "निहित स्वार्थों के लिए आतंकवाद की ओर आंखें मूंद लेना, या आतंक या आतंकवादियों को समर्थन देना, समस्त मानवता के साथ विश्वासघात है।"
प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद के मामले में दोहरे मानदंडों के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, “हाल में भारत को एक क्रूर और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले का सामना करना पड़ा। 22 अप्रैल को हुआ आतंकवादी हमला सिर्फ पहलगाम पर हमला नहीं था, बल्कि प्रत्येक भारतीय की आत्मा, पहचान और सम्मान पर सीधा हमला था।"
मोदी ने कहा, "यह पूरी मानवता पर हमला था। मैं उन सभी मित्रों के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं जिन्होंने इस हमले की कड़े शब्दों में निंदा की।"
ऊर्जा सुरक्षा पर मोदी ने कहा कि भावी पीढ़ियों के लिए ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना "हमारी सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है।"
प्रधानमंत्री ने कहा, “हम इसे न केवल प्राथमिकता मानते हैं, बल्कि अपने नागरिकों के प्रति जिम्मेदारी भी मानते हैं। उपलब्धता, पहुंच, सामर्थ्य और स्वीकार्यता के मूल सिद्धांतों पर आगे बढ़ते हुए, भारत ने समावेशी विकास का मार्ग चुना है।"
उन्होंने कहा कि सभी देशों का ऊर्जा परिवर्तन की दिशा में मिलकर आगे बढ़ना आवश्यक है।
मोदी ने कहा, “हमें "मैं नहीं, बल्कि हम" की भावना के साथ आगे बढ़ना चाहिए।
उन्होंने कहा, "दुर्भाग्य से, ‘ग्लोबल साउथ’ के देशों को अनिश्चितता और संघर्षों का सबसे अधिक प्रभाव झेलना पड़ रहा है। दुनिया में चाहे कहीं भी तनाव हो, ये देश खाद्य, ईंधन, उर्वरक और वित्तीय संकटों से सबसे पहले प्रभावित होते हैं।”
‘ग्लोबल साउथ’ शब्द का इस्तेमाल आम तौर पर आर्थिक रूप से कम विकसित देशों के संदर्भ में किया जाता है।
उन्होंने कहा कि इससे जनसाधारण, सामग्री, विनिर्माण और गतिशीलता भी प्रभावित होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, “ भारत ‘ग्लोबल साउथ’ की प्राथमिकताओं और चिंताओं को विश्व मंच पर लाना अपनी जिम्मेदारी समझता है। हमारा मानना है कि जब तक दोहरे मापदंड किसी भी रूप में कायम रहेंगे, मानवता का सतत और समावेशी विकास पहुंच से बाहर रहेगा।”
मोदी ने यह रेखांकित किया कि भारत ने सदैव अपने स्वार्थ से ऊपर उठकर मानवता के हित में कार्य किया है। उन्होंने कहा कि भारत भविष्य में भी सभी मामलों पर जी-7 के साथ बातचीत और सहयोग जारी रखेगा।
प्रौद्योगिकी, कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और ऊर्जा के विषयों पर मोदी ने कहा कि निस्संदेह, एआई सभी क्षेत्रों में दक्षता बढ़ाने और नवाचार को बढ़ावा देने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में उभर रहा है।
मोदी ने कहा कि एआई (कृत्रिम मेधा) अपने आप में एक ऐसी प्रौद्योगिकी है जिसके लिए बहुत ऊर्जा की आवश्यकता है।
एआई डेटा सेंटरों द्वारा बढ़ती ऊर्जा खपत, तथा आज के प्रौद्योगिकी आधारित समाजों की बढ़ती ऊर्जा मांगों को केवल नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के माध्यम से ही स्थायी रूप से पूरा किया जा सकता है।
मोदी ने वैश्विक समुदाय से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ऐसी शासन व्यवस्था की दिशा में काम करने का आह्वान किया, जो एआई से संबंधित चिंताओं का समाधान करने के साथ-साथ नवाचार को भी बढ़ावा दे।
उन्होंने कहा, "केवल तभी हम एआई को वैश्विक भलाई के लिए एक ताकत में बदल सकते हैं।" प्रधानमंत्री ने कहा कि एआई के युग में, महत्वपूर्ण खनिजों और प्रौद्योगिकी के क्षेत्रों में घनिष्ठ सहयोग अत्यंत महत्वपूर्ण है।
प्रधानमंत्री ने आपूर्ति श्रृंखलाओं का लचीलापन सुनिश्चित करने और उसे मजबूत बनाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा, "हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि कोई भी देश इनका इस्तेमाल केवल अपने हितों के लिए या हथियार के रूप में न करे। तीसरा, ‘डीप-फेक’ चिंता का एक बड़ा कारण है, क्योंकि वे समाज में व्यापक अव्यवस्था पैदा कर सकते हैं।"
मोदी ने कहा कि इसलिए एआई की मदद से बनाई गई सामग्री पर स्पष्ट घोषणा अंकित होनी चाहिए कि यह कृत्रिम मेधा की मदद से बनाई गई है।
तस्वीर या वीडियो में किसी व्यक्ति के चेहरे या शरीर को डिजिटल रूप से बदलने की प्रौद्योगिकी को ‘डीपफेक’ कहते हैं।
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