पूर्ववर्ती आप सरकार में कक्षा निर्माण 'घोटाले' के सिलसिले में दिल्ली में कई स्थानों पर ED के छापे

Last Updated 18 Jun 2025 05:02:02 PM IST

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पूर्ववर्ती आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार के दौरान दिल्ली के स्कूलों में कथित कक्षा निर्माण ‘घोटाले’ की धन शोधन जांच के तहत बुधवार को यहां कई परिसरों पर छापेमारी की। आधिकारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी।


संघीय जांच एजेंसी ने दिल्ली भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) की प्राथमिकी का संज्ञान लेते हुए धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत आपराधिक मामला दर्ज करने के बाद छापेमारी की। 

सूत्रों ने बताया कि ईडी के अधिकारियों ने इस मामले से जुड़े ठेकेदारों और निजी संस्थाओं के कम से कम 37 परिसरों की तलाशी ली।

ईडी ने 30 अप्रैल को दर्ज अपनी शिकायत में आम आदमी पार्टी (आप) के नेता और अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार में मंत्री रहे मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया था। 

शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दिल्ली सरकार के स्कूलों में 12,000 से अधिक कक्षाओं या अर्ध-स्थायी संरचनाओं के निर्माण में 2,000 करोड़ रुपये की वित्तीय अनियमितताएं की गईं।

सूत्रों ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि ईडी के मामले में वे ही आरोपी हैं। 

दिल्ली एसीबी द्वारा मामला दर्ज किये जाने के बाद आप ने आरोप लगाया था कि सत्तारूढ़ भाजपा उसके नेताओं को निशाना बनाने के लिए जांच एजेंसी (एसीबी) का इस्तेमाल एक ‘औजार’ के रूप में कर रही है। आप ने दावा किया कि कक्षाओं के निर्माण में कोई भ्रष्टाचार नहीं हुआ है। 

पिछली आप सरकार में 53 वर्षीय सिसोदिया के पास वित्त और शिक्षा विभाग थे तथा 60 वर्षीय जैन लोक निर्माण विभाग और कुछ अन्य मंत्रालयों के प्रभारी थे। इस महीने की शुरुआत में इस मामले में पूछताछ के लिए एसीबी ने दोनों को बुलाया था। 

जैन एक बार गवाही दे चुके हैं जबकि सिसोदिया तारीख पर पेश नहीं हुए और एसीबी के उन्हें फिर से बुलाने की संभावना है। आप ने एसीबी के समन को ‘विशुद्ध राजनीति’ करार दिया था।

सिसोदिया और जैन दोनों से ईडी ने पहले भी अलग-अलग धन शोधन मामलों में पूछताछ की है। सिसोदिया को कथित दिल्ली शराब घोटाला मामले में एजेंसी ने गिरफ्तार किया था और उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल किया गया था, जबकि जैन को 2022 में हिरासत में लिया गया था और बाद में कथित हवाला लेनदेन और आय से अधिक संपत्ति रखने के मामले में उनके खिलाफ आरोपपत्र दायर किया गया था। 

इस मामले में केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) द्वारा कथित खामियों को चिन्हित किए जाने के बाद एसीबी ने प्राथमिकी दर्ज की थी। 

कपिल मिश्रा, हरीश खुराना और नीलकांत बख्शी जैसे दिल्ली के भाजपा नेताओं ने 2019 में एसीबी में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें दिल्ली के तीन क्षेत्रों में स्कूलों में कक्षाओं के निर्माण में गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया गया था। 

एसीबी ने आरोप लगाया कि परियोजना पर कुल 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए, जिससे प्रति कक्षा निर्माण लागत 24.86 लाख रुपये हो गई, जबकि मानक मानदंडों के तहत प्रति कमरा अनुमानित लागत 5 लाख रुपये थी। 

उसने दावा किया कि परियोजना 34 ठेकेदारों को दी गई थी, जिनमें से अधिकतर कथित तौर पर आप से जुड़े थे। 

एसीबी ने यह दावा भी किया कि परियोजना के लिए सलाहकार और वास्तुकार को उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना नियुक्त किया गया था।

उसने कहा, ‘‘केंद्रीय सतर्कता आयोग के मुख्य तकनीकी परीक्षक (सीटीई) ने अपनी रिपोर्ट में विभिन्न खंडों के गंभीर उल्लंघन को उठाया था, जिसमें सीपीडब्ल्यूडी निर्माण मैनुअल 2014, जीएफआर 2017 और सीवीसी दिशानिर्देशों के घोर उल्लंघन को उजागर किया गया था। हालांकि, रिपोर्ट को कथित तौर पर लगभग तीन साल तक दबाकर रखा गया।’’

भाषा
नई दिल्ली


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