यह युद्ध का युग नहीं : प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति के साथ वार्ता के बाद कहा

Last Updated 16 Jun 2025 07:25:55 PM IST

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को कहा कि उन्होंने और साइप्रस के राष्ट्रपति निकोस क्रिस्टोडौलिडेस ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर ‘‘चिंता जताई’’ और उन दोनों का मानना है कि ‘‘यह युद्ध का युग नहीं है।’’


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां क्रिस्टोडौलिडेस के साथ व्यापक वार्ता के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में अपने संबोधन में यह भी कहा कि ‘‘बातचीत के जरिए समाधान और स्थिरता बहाल करना मानवता की मांग है।’’

प्रधानमंत्री ने सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के समर्थन के लिए भी धन्यवाद दिया। उन्होंने कहा, ‘‘हम सीमा पार से होने वाले आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई में साइप्रस के समर्थन के लिए आभारी हैं।’’ 

प्रधानमंत्री मोदी तीन देशों की अपनी यात्रा के पहले चरण में अभी साइप्रस में हैं।

मई में भारत द्वारा ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाए जाने के बाद यह उनकी पहली विदेश यात्रा है। पहलगाम आतंकी हमले के जवाब में, ऑपरेशन सिंदूर के तहत पाकिस्तान और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में आतंकवादियों के बुनियादी ढांचे को नष्ट कर दिया गया था।

संयुक्त प्रेस वार्ता के दौरान अपने संबोधन में राष्ट्रपति क्रिस्टोडौलिडेस ने कहा, ‘‘हमारे बीच ऐतिहासिक मित्रता है और हमारे संबंधों में विश्वास है।’’

उन्होंने 22 अप्रैल के भयावह पहलगाम आतंकी हमले को भी याद किया और कहा कि साइप्रस, भारत के साथ ‘‘पूरी एकजुटता’’ के साथ खड़ा है। राष्ट्रपति ने कहा कि साइप्रस आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत के साथ खड़ा है।

अपने संबोधन में क्रिस्टोडौलिडेस ने अहमदाबाद में 12 जून को हुए एअर इंडिया विमान हादसे का भी जिक्र किया और कहा कि साइप्रस के लोग दुख की इस घड़ी में भारत के साथ हैं।

मोदी और क्रिस्टोडौलिडेस ने भारत-साइप्रस संबंधों के सभी पहलुओं पर व्यापक चर्चा की। उन्होंने रक्षा, सुरक्षा, व्यापार, प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य सेवा, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु न्याय जैसे क्षेत्रों में सहयोग के बारे में बात की। उन्होंने क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की।

मोदी ने कहा, ‘‘हम दोनों ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता व्यक्त की। उनका नकारात्मक प्रभाव केवल उन क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। हम दोनों का मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। बातचीत के माध्यम से समाधान और स्थिरता बहाल करना मानवता की मांग है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-साइप्रस द्विपक्षीय संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का ‘‘स्वर्णिम अवसर’’ है।

पिछले दो दशकों में किसी भारतीय प्रधानमंत्री की साइप्रस की यह पहली यात्रा है। सोमवार को राष्ट्रपति भवन पहुंचने पर उनका स्वागत किया गया। 

बाद में, मोदी ने भारत-साइप्रस संबंधों को बढ़ावा देने के लिए कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए राष्ट्रपति के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता की।

विदेश मंत्री एस जयशंकर, विदेश सचिव विक्रम मिसरी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल वार्ता के दौरान मौजूद थे। 

साइप्रस पहुंचने के तुरंत बाद मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘यह यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों को महत्वपूर्ण गति प्रदान करेगी, खासकर व्यापार, निवेश और अन्य क्षेत्रों में।’’

संयुक्त संवाददाता सम्मेलन के दौरान साइप्रस के राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमने प्रधानमंत्री के साथ साइप्रस मुद्दे पर भी चर्चा की।’’ उन्होंने विवादित उत्तरी क्षेत्र का जिक्र करते हुए कहा कि तुर्किये के ‘‘अवैध कब्जे’’ को साइप्रस समाप्त करना चाहता है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हम भारत और उसके लोगों के समर्थन के लिए साइप्रस गणराज्य की ओर से आभार व्यक्त करते हैं। साइप्रस की क्षेत्रीय अखंडता और हमारे एकीकरण के लिए समर्थन।’’

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि लोकतंत्र और कानून का शासन में परस्पर विश्वास ‘‘हमारे संबंधों की मजबूत नींव’’ है। 

उन्होंने कहा, ‘‘हमारे संबंध न तो परिस्थितियों से बने हैं और न ही सीमित हैं। हम एक-दूसरे की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करते हैं।’’ दोनों देशों के साझा मूल्यों और द्विपक्षीय संबंधों की भविष्य की दिशा को रेखांकित करते हुए मोदी ने कहा, ‘‘हम साथ मिलकर भविष्य को आकार देंगे।’’

मोदी ने कहा कि साइप्रस भारतीयों के लिए भी पसंदीदा पर्यटन स्थल है और दोनों देशों के बीच सीधी उड़ान के लिए प्रयास किए जाएंगे।

उन्होंने कहा, ‘‘सांस्कृतिक संबंधों को कैसे प्रगाढ़ किया जाए, हमने इस पर भी चर्चा की। साइप्रस में योग और आयुर्वेद की लोकप्रियता बढ़ रही है, जिसे देखकर खुशी होती है। पर्यटन एक और क्षेत्र है, जहां काफी संभावनाएं हैं। हमने संपर्क को बेहतर बनाने के तरीकों पर भी विचार-विमर्श किया।’’ 

भारत-पश्चिम एशिया-यूरोप आर्थिक गलियारा (आईएमईसी) और भारत-यूरोपीय संघ संबंधों पर भी उनकी बातचीत के दौरान चर्चा हुई।

प्रधानमंत्री मोदी ने साइप्रस के राष्ट्रपति को भारत आने का न्योता भी दिया।

मोदी ने यहां क्रिस्टोडौलिडेस के साथ व्यापक वार्ता के बाद उनके साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में यह बात कही।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘हम दोनों ने पश्चिम एशिया और यूरोप में चल रहे संघर्षों पर चिंता जताई। उनका नकारात्मक प्रभाव केवल उन क्षेत्रों तक ही सीमित नहीं है। हम दोनों का मानना है कि यह युद्ध का युग नहीं है। बातचीत के जरिए समाधान और स्थिरता बहाल करने की जरूरत है।’’

प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी यात्रा भारत-साइप्रस संबंधों में एक नया अध्याय लिखने का एक ‘‘स्वर्णिम अवसर’’ है।

भाषा
निकोसिया


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