दिवाली के बाद दिल्ली की हवा हुई ‘बहुत खराब’ फिर भी कम
दिवाली के बाद की सुबह दिल्ली में हवा की गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज की गई, लेकिन अनुकूल मौसम संबंधी परिस्थितियों ने प्रदूषक तत्वों को तेजी से जमा होने से रोका और स्थिति पिछले वर्षों से अपेक्षाकृत बेहतर रही।
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राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) मंगलवार सुबह 326 रहा। राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के पड़ोसी शहरों गाजियाबाद (285), नोएडा (320), ग्रेटर नोएडा (294), गुरुग्राम (315) और फरीदाबाद (310) में भी हवा की गुणवत्ता ‘खराब’ से ‘बहुत खराब’ श्रेणी में रही।
मंगलवार सुबह अपेक्षाकृत बेहतर वायु गुणवत्ता का मतलब यह नहीं है कि यह अच्छी हवा है। राष्ट्रीय राजधानी के 35 निगरानी केंद्रों में से 30 में सुबह सात बजे पीएम 2.5 का स्तर राष्ट्रीय मानक 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से पांच से छह गुना अधिक रहा। आतिशबाजी पर प्रतिबंध के बावजूद दिल्ली के कई हिस्सों में लोगों ने पटाखे चलाए, लेकिन पिछले दो वर्षों की तुलना में इसकी तीव्रता कम दिखाई दी। दिल्ली सरकार ने सितम्बर में एक जनवरी 2023 तक सभी प्रकार के पटाखों के उत्पादन, बिक्री और उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी, जिसमें दिवाली भी शामिल है, जिसका पालन वह पिछले दो वर्षों से कर रही है।
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडीज, इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के चेयर प्रोफेसर गुफरान बेग ने कहा कि पंजाब और हरियाणा में सोमवार को खेतों में पराली जलाई गई, लेकिन हवा की गति के कारण धुंआ छंट गया। इसलिए, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान (लगभग 10 प्रतिशत) भी ‘बहुत अधिक’नहीं रहा। हर साल दिवाली पर दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषकों में पटाखों और पराली जलाने का योगदान रहा है। लेकिन इस साल यह पूर्व के वर्षों की तुलना में अपेक्षाकृत कम रहा है।
टे तौर पर स्थिर वायु गुणवत्ता की स्थिति के पीछे एक अन्य महत्वपूर्ण कारक मध्यम हवा की गति और गर्म स्थितियां थीं जिससे प्रदूषक तेजी से संचय नहीं कर सके और वायु गुणवत्ता को ‘गंभीर’ श्रेणी में जाने से रोका जा सका। रविवार शाम को दिल्ली में 24 घंटे का औसत एक्यूआई 259 दर्ज किया गया था, जो दिवाली की पूर्व संध्या पर सात वर्षों में सबसे कम था।
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