2024 तक दिल्ली बन जाएगा झीलों का शहर! जलाशयों को मिल रहा नया जीवन

Last Updated 18 Sep 2022 12:24:01 PM IST

राजधानी दिल्ली को झीलों का शहर बनाने के लिए अरविंद केजरीवाल की सरकार लगातार काम कर रही है।


जलाशय (फाइल फोटो)

इसके तहत 250 जलाशयों और 23 झीलों को विकसित किया जा रहा है। दिल्ली सरकार की तरफ से 159 वाटर बॉडीज के लिए 376 करोड़ का बजट, जबकि दो बड़ी झीलों के निर्माण के लिए 77 करोड़ का बजट भी पास किया गया था। दिल्ली जल बोर्ड द्वारा साल 2017-18 से शुरू किए गए इस प्रोजेक्ट को 2024 तक खत्म करने की बात कही जा रही है।

दिल्ली सरकार की झीलों और जलाशयों को पुनर्जीवित और विकसित करने की परियोजना की नींव साल 2017 में रखी गई थी। इसके तहत दिल्ली जल बोर्ड को शहर के अलग अलग हिस्सों में मौजूद करीब 250 जलाशयों और 23 झीलों को पुनर्जीवित और विकसित करने का काम सौंपा गया था।

दिल्ली जल बोर्ड ने साल 2018 में इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया। जानकारी के मुताबिक इस प्रोजेक्ट में झीलों को विकसित करने के लिए दो तरह से काम किया जा रहा है। पहला ऐसी झीलों को चुना गया, जो सूख चुकी हैं और जर्जर हालत में है। इन्हें पुनर्जीवित करने का काम किया जा रहा है। वहीं दूसरे में दिल्ली के तकरीबन 7 जगहों पर कृत्तिम झील का निर्माण करने की योजना है। इसी तरह छोटे छोटे जलाशयों को भी जीवंत करने का काम सरकार कर रही है।

इस पूरी परियोजना का उद्देश्य शहरी बाढ़ को रोकना, भूजल स्तर को बढ़ाना और अवरुद्ध नालियों से बचने के लिए विभिन्न जलाशयों का निर्माण करना है। इस पहल से दिल्ली में पानी की कमी की समस्या से निपटने में भी मदद मिलेगी।

दिल्ली सरकार सस्टेनेबल मॉडल का उपयोग कर इन झीलों का कायाकल्प कर रही है। झीलों के आस-पास पर्यावरण तंत्र को जीवंत करने के लिए देसी पौधे लगाए जा रहे है। साथ ही सभी जल निकायों को सुंदर रूप देने की दिशा में लगातार काम किया जा रहा है।

दिल्ली जल बोर्ड के कंसल्टेंट और इंजीनियर अंकित श्रीवास्तव ने आईएएनएस से बात करते हुए बताया कि मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने इस परियोजना की कल्पना की थी। इसके तहत ग्राउंड वाटर लेवल को बढ़ाना और खुद के वाटर रिजर्व तैयार रखना प्राथमिकता थी। बाद में सौंदर्यीकरण करने का निर्णय भी किया गया।

उन्होंने बताया कि दिल्ली में तकरीबन 1000 एमजीडी पानी सप्लाई होता है, उसमें से 900 एमजीडी अन्य राज्यों से आता है, जबकि करीब 100 एमजीडी पानी दिल्ली सरकार खुद निकालती है। इस परियोजना के खत्म होने के बाद दिल्ली पानी को लेकर काफी हद तक आत्मनिर्भर हो जाएगी।

दिल्ली जल बोर्ड ने बताया कि परियोजना के पहले चरण में 50 ऐसी वाटर बॉडीज को चुना गया है, जहां गंदा पानी जाता था। इन्हें पुनर्जीवित किया जा रहा है। इसके अलावा 7 बड़ी जगहों पर झीलें खोदी हैं, जिसमें सरकार के एसटीपी से पानी छोड़ा जा रहा है।

दिल्ली जल बोर्ड के अधिकारी ने बताया कि इसका एक मुख्य मकसद ग्राउंड वाटर लेवल बढ़ाना है। भूजल स्तर मापने के लिए झील में पीजोमीटर भी लगाए जा रहे हैं, जो पानी का स्तर कितना है, इसकी जानकारी देते हैं। पहले चरण में खोदी गई झील से ग्राउंड वाटर लेवल में डेढ़ से पौने दो मीटर का इजाफा हुआ था।

जिसके बाद झीलों को और गहरा बनाया जा रहा है। आने वाले समय में इसके बेहतर परिणाम देखने को मिलेंगे। प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहली वाटर बॉडी का काम रजोकरी में पायलट के तौर पर किया गया था।

दिल्ली जल बोर्ड के कंसल्टेंट और इंजीनियर अंकित श्रीवास्तव ने आईएएनएस को बताया कि आमतौर पर वाटर बॉडीज का काम 6-7 महीने में पूरा हो जाता है। मगर कई जगह ऐसी हैं, जहां पर अतिक्रमण हो रखा है। कई जगहों पर लोग भी अड़चन पैदा करते हैं। यही वजह है कि कुछ प्रोजेक्ट में देरी हो रही है।

अंकित श्रीवास्तव के मुताबिक पहले चरण की 50 वाटर बॉडीज में पानी से जुड़ा हुआ काम पूरा हो गया है। अब हम इसके सौन्दर्यकरण और पर्यटन की दिशा में काम कर रहे हैं।

झीलों की बात करें तो उन्होंने बताया कि झील बनाने और पानी का काम पप्पन कलां और निलोठी का पूरा हो गया है। द्वारका में 90 फीसदी, इरादतनागर में 50 फीसदी, तिमारपुर में 95 फीसदी, शाहदरा में 50 फीसदी, रोशनआरा में 50 फीसदी, रोहिणी में 70-80 फीसदी, सनौथ में 70 फीसदी काम किया जा चुका है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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