जिमखाना : डेविस कप घोटाले को दबाने की कोशिश!
जिमखाना क्लब में डेविस कप आयोजन की आड़ में हुए करोड़ों रुपये घोटाले की जांच रफा-दफा करने की कवायद शुरू हो गई है।
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आरोप है कि जिमखाना से हटाए गए प्रशासक ओम पाठक ने एक भाजपा नेता के साथ मिलकर टूर्नामेंट के नाम पर करोड़ों रुपये इकट्ठा किये और उन्हें क्लब को नहीं दिया। बावजूद इसके हाल ही में नियुक्त हुए निदेशक मंडल में शामिल एक सेवानिवृत्त अधिकारी पुराने संबंधों के आधार पर आरोपी ओम पाठक को बचाने की कोशिश कर रहे हैं।
जिमखाना क्लब में मार्च में तत्कालीन प्रशासक ओम पाठक ने डेविस कप टूर्नामेंट कराया था। तीन दिवसीय यह टूर्नामेंट कराने के लिए स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया, एनटीपीसी, गेल, इंडियन आयल, ओएनजीसी, पॉवर ग्रिड, पीएफसी, एसबीआई लाइफ, एचडीएफसी और टाटा जैसी कंपनियों से नौ करोड़ रुपये से ज्यादा की स्पोंसरशिप वसूली गई थी, लेकिन यह पूरी रकम जिमखाना के बैंक खाते में जमा नहीं कराई गई। बल्कि इसके लिए पाठक ने एक संस्था के साथ मिलकर पंजाब नेशनल बैंक की दक्षिणी दिल्ली स्थित शाखा में नया खाता खुलवा लिया। खाता संख्या 5218100100000910 के तहत खुले इस खाते में पाठक भी अधिकृत हस्ताक्षरधारी है, जबकि वह उस संस्था में पदाधिकारी भी नहीं हैं। इस खाते की जानकारी जिमखाना के रिकार्ड में भी मौजूद है।
पाठक ने 16 और 20 अप्रैल को इसी खाते के चेक संख्या 056590 से क्लब को सवा लाख रु पये और चेक संख्या 56601 से 4,64,641 रु पये का भुगतान किया था और चेक पर अधिकृत हस्ताक्षरधारी के तौर पर खुद भी हस्ताक्षर किए हुए हैं। खास बात यह है कि क्लब को चेक देने वाले पाठक को 03 अप्रैल की रात जिमखाना के प्रशासक पद से हटाया जा चुका था। टूर्नामेंट आयोजित कराने के लिए सीपीडब्ल्यूडी की सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट डिवीजन-तीन सहित कई कंपनी संस्थाओं के माध्यम से करीब पौने तीन करोड़ रु पये के काम भी कराए गए। लेकिन तमाम कार्य जिमखाना के नाम से हुए और ठेकेदारों को भुगतान भी नहीं किया गया, जिन्हें लेने के लिए ठेकेदार और कंपनियां लगातार क्लब के चक्कर लगा रहे हैं।
जानकारी के अनुसार इस राशि को वसूलने के लिए कल कॉर्पोरेट कार्य मंत्रालय द्वारा नामित निदेशकों ने ओम पाठक और हटाए गए सचिव जेपी सिंह को तलब भी किया था। लेकिन मामले में भाजपा नेता का नाम सामने आने के बाद मामले को दबाने की कोशिश का आरोप भी लग रहा है। क्लब के एक सदस्य और सेवानिवृत्त वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, स्पष्ट तौर यह धोखाधड़ी और भ्रष्टाचार का मामला है। इस मामले में पाठक और पूर्व सचिव जेपी सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए था। हाल ही में नियुक्त किए गए एक अधिकारी लखनऊ से अपने संबंधों के चलते पाठक को बचाने की कोशिश कर रहे हैं। गौरतलब है कि पाठक लखनऊ लोकसभा से पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के सामने चुनाव लड़ चुके हैं।
हैरानी की बात है कि 1 मई को क्लब के 106 सदस्यों ने इस संबंध में नवनियुक्त निदेशक मंडल को पत्र भी लिखा था, जिसमें घोटाले की जांच का अनुरोध किया गया था। लेकिन जिमखाना के सचिव इस घोटाले की जानकारी से ही अनिभज्ञता जता रहे हैं। उनका कहना है कि उन्हें इस विषय में कोई जानकारी नहीं है। इसी के साथ वह इस संवाददाता से ही कहते हैं कि आपके पास जानकारी है तो आप हमें दीजिए। हम इसकी जांच करेंगे। उनका यह भी कहना है कि एनसीएलटी के आदेश के तहत वह अपनी जांच रिपोर्ट ट्रिब्यूनल में जमा करेंगे।
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