निष्ठा के साथ गुरुओं के आदर्शों पर बढ़ रहा देश : मोदी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि श्री गुरुतेग बहादुर जी के बलिदान ने भारत की अनेक पीढ़ियों को मान सम्मान के लिए जीने व मर मिट जाने की प्रेरणा दी है।
![]() गुरुतेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर डाक टिकट जारी करते प्रधानमंत्री व अन्य। इस मौके पर स्मारक सिक्का भी जारी किया गया। |
उन्होंने कहा कि हमारे गुरुओं ने हमेशा ज्ञान व अध्यात्म के साथ ही समाज व संस्कृति की जिम्मेदारी उठाई और शक्तिको सेवा का माध्यम बनाया। गुरुओं के आशीर्वाद से भारत अपने गौरव के शिखर तक पहुंचेगा। गुरुओं ने हमेशा मानवता को सर्वोपरि रखने की सीख दी।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बृहस्पतिवार को लालकिला लॉन में आयोजित नौवें सिख गुरु श्री गुरु तेगबहादुर के 400वें प्रकाश पर्व समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान प्रधानमंत्री ने श्री गुरुतेगबहादुर जी की स्मृति में एक स्मारक सिक्का जारी करने के साथ साथ एक डाक टिकट भी जारी किया। उन्होंने आज के संबोधन से एक नया इतिहास रचा, वह सूर्यास्त के बाद लालकिले से संबोधित करने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री बने। कार्यक्रम में पहुंचने के बाद उन्होंने सर्वप्रथम श्री गुरुग्रंथ साहिब जी के समक्ष माथा टेक कर वंदन किया। इस दौरान वह शबद कीर्तन में भी शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने भाषण की शुरुआत वाहे गुरुजी का खालसा वाहे गुरु जी की फतेह बोल कर की। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि आज हमारा देश पूरी निष्ठा के साथ हमारे गुरुओं के आदर्शों पर आगे बढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि लालकिला कितने ही अहम कालखंडों का साक्षी रहा है, इस किले ने श्री गुरु तेग बहादुर साहिब की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मर मिटने वालों के हौसलों को भी परखा है। आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान लालकिले पर हो रहा यह आयोजन बहुत विशेष हो गया है।
उन्होंने कहा कि लालकिले के पास यहीं पर श्री गुरुतेग बहादुर साहिब के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज है। यह गुरुद्वारा हमें उनके बलिदान की याद दिलाता है। उस समय देश में मजहबी कट्टरता की आंधी आई थी। देश के सामने ऐसे लोग थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर अत्याचार की पराकाष्ठा कर दी थी। उस समय भारत को अपनी पहचान बचाने के लिए एक बड़ी उम्मीद गुरुतेगबहादुर के रूप में दिखाई दी।
उस समय गुरु तेगबहादुर जी हिंद की चादर बनकर चट्टान की तरह खड़े हो गए। मोदी ने कहा कि औरंगजेब के अत्याचारों ने भले ही अनेक सिरों को धड़ों से अलग किया लेकिन हमारी आस्था को वह हमसे अलग नहीं कर सका।
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