नफरत फैलाने वाले भाषणों के खिलाफ वाली याचिका पर सुनवाई के लिए सहमत सुप्रीम कोर्ट

Last Updated 12 Nov 2021 11:44:21 PM IST

सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को उस याचिका पर सुनवाई करने के लिए सहमत हो गया, जिसमें केंद्र को विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय कानूनों पर गौर करने, देश में नफरत फैलाने वाले भाषणों तथा अफवाहों को नियंत्रित करने के लिए 'प्रभावी एवं कड़े' कदम उठाने का निर्देश देने की मांग की गई है।


सुप्रीम कोर्ट

न्यायमूर्ति ए. एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने एक अलग याचिका के साथ मामले की सुनवाई 22 नवंबर को निर्धारित की। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिका पर 22 नवंबर को सुनवाई की जाएगी, जब मामले से जुड़ी एक अन्य याचिका पर सुनवाई होगी।

पीठ ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विकास सिंह से कहा कि याचिका की प्रति गृह मंत्रालय, कानून एवं न्याय मंत्रालय और विधि आयोग को दी जाए। इन सभी को याचिका में प्रतिवादी बनाया गया है।

याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गई है कि अदालतों को सार्वजनिक शांति, चुनाव से संबंधित अपराध आदि के खिलाफ अपराधों के लिए सजा देते समय, लगातार चलने वाली सजा पर जोर देना चाहिए।

उपाध्याय ने नफरत फैलाने वाले भाषण और अफवाह फैलाने वालों से निपटने के लिए कानून आयोग की सिफारिशों को लागू करने के लिए केंद्र को विधायी कदम उठाने का निर्देश देने की भी मांग की।

याचिका में कहा है कि घृणा व नफरत फैलाने से नागरिकों पर गंभीर असर पड़ता है और इसके जरिए लोगों व समाज को आतंकवाद, नरसंहार, जातीय उन्माद की ओर धकेला जा सकता है। इससे लोगों की जान व सुरक्षा पर संकट पैदा होता है। नफरत भरे भाषणों से सामाजिक प्रगति बाधित होती है। इसलिए अगर इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह लोगों के जीवन पर विनाशकारी प्रभाव डाल सकता है।

आईएएनएस
नई दिल्ली


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