कोविड डेंजर: राजधानी में 61 फीसद मौतें सिर्फ 12 दिनों में
वैश्विक महामारी कोरोना की रफ्तार पर अंकुश लगाने में दिल्ली सरकार समेत राजधानी में अन्य स्वास्थ्य एजेंसियां बेदम साबित हो रही हैं।
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जहां संक्रमितों के आंकड़ों की चाल और तेज हो गई है वहीं मृतकों के आंकड़ों में तेजी से उछाल दर्ज किया जा रहा है जिससे न सिर्फ दिल्लीवासियों की सांसें डर के मारे थमने लगी हैं तो वहीं फ्रंटलाइन वारियर्स और डॉक्टरों की स्थिति पतली हो रही है।
दिल्ली सरकार के अुनसार राजधानी में अब तक कोरोना से मरने वालों की संख्या 1,214 पहुंच गई है। इनमें से 129 मरीजों की मौत की पुष्टि शुक्रवार को की गई। इनमें से 71 पिछले 24 घंटों में हुई थीं, बाकी 58 मरीज 9 और 10 मई के बीच मारे गए। स्वास्थ्य अधिकारी ने कहा कि महाराष्ट्र (3,717) और गुजरात (1,416) के बाद दिल्ली में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा लोगों की मौत हुई है। चिंताजनक बात ये है कि 741 मौतें (61 फीसद) सिर्फ पिछले 12 दिन में हुई हैं। मार्च में दिल्ली के भीतर 2 मौतें, अप्रैल में 57 मौतें और मई में कोरोना से दिल्ली में 414 लोगों की मौत हुई थी। वहीं, तीनों नगर निगमों से प्राप्त आंकड़ों पर यदि भरोसा किया जाए तो कोरोना संक्रमणकाल के दौरान विभिन्न शवदाह गृहों में 2 हजार से अधिक शवों का अन्तिम संस्कार किया गया है। कब्रिस्तान भी शवों से लगभग भर चुके हैं जिनका आंकड़ा सरकार के पास है ही नहीं।
बेहतर नैदानिक प्रबंधन की कमी : मैक्स कैथलैब के निदेशक डॉ. विवेका कुमार का कहना है कि संक्रमितों की जांच प्रक्रिया या तो सुस्त या फिर देरी से की जा रही है। मतलब ज्यादा बीमार लोगों का ही टेस्ट हो रहा है। सामान्य संक्रमितों की भी जांच करनी जरूरी है।
क्या कहते हैं आंकड़े : देश के चार महानगरों का विशलेषण बताता है कि वहां हालात कितने खराब हैं। दिल्ली, महाराष्ट्र, चेन्नई, गुजरात को मिला दें तो देश के 44 फीसद कोरोना मामले यहीं पर हैं। 11 जून तक देश में कोविड-19 से जितनी मौतें हुई, उनमें से 43 फीसद इन्हीं चार महानगरों में हुई। मुंबई में कोरोना के 54 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। वहां रोज एक हजार से ज्यादा केस सामने आ रहे हैं। हालांकि संक्रमण की दर चेन्नई और मुंबई में तेजी से बढ़ी है।
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