सिंधिया का भाजपा की राजनीति में बढ़ता कद
मध्य प्रदेश की राजनीति का एक जाना पहचाना चेहरा है केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया, कांग्रेस छोड़कर भाजपा पार्टी में आए सिंधिया का कद अब धीरे-धीरे बढ़ने लगा है। पहले उन्हें नागरिक उड्डयन मंत्री की जिम्मेदारी दी गई और अब उन्हें इस्पात मंत्रालय का भी अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है।
![]() केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया |
सिंधिया ने लगभग दो साल पहले कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था, उनके इस सियासी बदलाव के चलते मध्यप्रदेश में कांग्रेस की कमलनाथ के नेतृत्व वाली सरकार गिर गई थी। जिसके चलते भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। सिंधिया को जब काफी समय तक भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति और केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान नहीं मिला तो तरह-तरह के सवाल उठने लगे थे और कांग्रेस भी उन पर हमला कर थी।
भाजपा का दामन थामने वाले सिंधिया को पहले राज्यसभा में भेजा गया और उसके बाद उन्हें मोदी सरकार में केंद्रीय मंत्री बनाते हुए नागरिक उड्डयन मंत्रालय दिया गया। अब सिंधिया को इस्पात मंत्रालय का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है, यह जिम्मेदारी उन्हें आरसीपी सिंह द्वारा इस्तीफा दिए जाने के कारण मिली है।
सिंधिया के सियासी तौर पर भाजपा के भीतर बढ़ते कद को काफी अहम माना जा रहा है और इसे मध्य प्रदेश की राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि राज्य से केंद्र में बड़े नेता के तौर पर पहचाने जाने वाले केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के पास एक से ज्यादा मंत्रालय हुआ करते थे, अब उनके पास कृषि और किसान कल्याण विभाग ही है, वहीं केंद्रीय राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल पहले स्वतंत्र प्रभार के मंत्री थे अब सिर्फ राज्यमंत्री का दर्जा मिला।
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुंबई में हुए सत्ता बदलाव के बाद हर तरफ सवाल उठ रहे थे कि एकनाथ शिंदे ने सत्ता में बदलाव कराया तो उन्हें मुख्यमंत्री बना दिया गया और सिंधिया को सत्ता बदलाव कराने पर ज्यादा अहमियत नहीं मिली, पार्टी ने अब सिंधिया का भी कद बढ़ाने के संकेत दिए हैं। इसे पार्टी की भावी राजनीति भी माना जा सकता है।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने तंज सिंधिया पर तंज कसा था और कहा था, भाजपा बड़ा अन्याय करती है। एकनाथ शिंदे को बगावत करने पर मुख्यमंत्री पद देकर देवेन्द्र फडनवीस को उपमुख्यमंत्री बना दिया। मध्यप्रदेश में भी ज्योतिरादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री बना कर शिवराज चौहान को उपमुख्यमंत्री बना सकते थे। लेकिन नहीं किया। सरासर दोहरा मापदंड है।
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