सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को मंजूरी दी

Last Updated 18 May 2022 05:34:29 PM IST

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश स्थानीय निकाय चुनाव में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के आरक्षण को बुधवार को मंजूरी दे दी। जस्टिस ए एम खाननविल्कर की अगुवाई वाली खंडपीठ ने राज्य चुनाव आयोग को एक सप्ताह के अंदर स्थानीय निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी करने का निर्देश दिया।


सुप्रीम कोर्ट

ओबीसी से ताल्लुक रखने वाले याचिकाकर्ताओं की ओर से पैरवी कर रहे वकील शशांक रतनू ने आईएएनएस को बताया कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में दलील दी थी कि सरकार की गलतियों का खामियाजा ओबीसी को नहीं भुगतना चाहिए।

शशांक रतनू ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने वार्ड आधार और पंचायत आधार पर सभी 23 हजार सीटों पर 50 प्रतिशत से कम आरक्षण को मंजूरी दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने मध्यप्रदेश के राज्य चुनाव आयोग को 10 मई को निर्देश दिया था कि वह दो सप्ताह के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव की शुरुआत करे।

सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट कर दिया था कि जब तक मध्यप्रदेश सरकार आरक्षण देने के लिए जरूरी तीनों प्रावधानों को पूरा नहीं करती तब तक ओबीसी आरक्षण नहीं दिया जा सकता है।

मध्यप्रदेश सरकार ने इसी सिलसिले में गत मंगलवार को ओबीसी आयोग की दूसरी रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पेश की थी। राज्य सरकार का कहना था कि ओबीसी आयोग की रिपोर्ट स्थानीय निकाय आधारित आरक्षण प्रतिशत से संबंधित है और अदालत को रिपोर्ट पर भरोसा करना चाहिए।

मध्यप्रदेश सरकार ने यह भी आग्रह किया था कि सुप्रीम कोर्ट उसे इस रिपोर्ट के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिए जाने के संबंध में अधिसूचना जारी करने की अनुमति दे।

मध्यप्रदेश सरकार ने साल 2011 की जनगणना के आंकड़े भी ओबीसी आरक्षण देने के लिये पेश किए। इस आंकड़े के मुताबिक राज्य की कुल आबादी में 51 प्रतिशत लोग ओबीसी से हैं। राज्य सरकार का मामना है कि अगर जनसंख्या के आधार पर ओबीसी आरक्षण दिया जाये तो उनके साथ न्याय होगा।

आईएएनएस
नयी दिल्ली


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